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दिल्ली की 9 सीटों पर बीजेपी, आप में होगी कड़ी टक्कर, दोनों की साँसें अटकीं?

दिल्ली विधानसभा के मौजूदा चुनाव में 9 सीटें ऐसी हैं जहाँ 2020 के चुनाव नतीजों ने आप और बीजेपी दोनों की साँसें अटका दी हैं। ये नौ सीटें वे हैं जहाँ जीत का अंतर काफ़ी कम रहा था। ख़ास बात यह है कि इन सीटों पर लगातार जीत का अंतर कम हो रहा है। इन सीटों पर 2015 में यह अंतर 2020 से कहीं ज़्यादा था। 

दिल्ली चुनाव में इस बार भी त्रिकोणीय मुक़ाबला होगा। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप लगातार तीसरी बार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हथियाने की कोशिश में है। कांग्रेस भी कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है और उसे उम्मीद है कि वह चौंकाने वाली जीत हासिल करेगी। 

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आप ने बड़ी जीत हासिल की थी। तब उस चुनाव में केजरीवाल की पार्टी को 70 में से 62 सीटें मिली थीं। बीजेपी 8 सीटों पर सिमट गई थी। पिछले चुनाव की तरह कांग्रेस जीरो पर ही रही। हालाँकि, आप को इस चुनाव में पाँच सीटों का नुक़सान हुआ था। आप को 53.57 फीसदी वोट मिले थे तो बीजेपी को 38.51 फीसदी और कांग्रेस को 4.26 फीसदी। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2015 के मुक़ाबले काफी कम हो गया।

इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में आप ने रिकॉर्ड 67 सीटें जीती थीं। तब बीजेपी सिर्फ़ 3 सीटें ही जीत पाई थी। 2015 के चुनाव में कांग्रेस की हालत ख़राब थी और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस चुनाव में आप को 54.3 फीसदी, बीजेपी को 32.2 फीसदी और कांग्रेस को 9.7 फीसदी वोट मिले थे। 

तो सवाल है कि 2025 के इस चुनाव में क्या स्थिति रहेगी? वैसे चुनाव को लेकर तीनों ही दलों की धड़कनें बढ़ी होंगी, लेकिन इसमें से भी ख़ासकर 9 सीटें ऐसी हैं जहाँ आप और बीजेपी दोनों नज़रें टिकाए होंगी। इन सीटों पर 2020 में 4000 से कम अंतर से जीत के नतीजे आए थे। 

पांच साल पहले आप ने इन नौ में से सात सीटें जीती थीं- आदर्श नगर, शालीमार बाग, बिजवासन, कस्तूरबा नगर, छतरपुर, पटपड़गंज और कृष्णा नगर - जबकि भाजपा ने लक्ष्मी नगर और बदरपुर जीती थीं। इनमें से कई सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत के अंतर से ज़्यादा वोट मिले थे।

जानें जीत का अंतर क्या रहा था?

इन नौ सीटों में से लक्ष्मी नगर में 2015 में भी काँटे की टक्कर देखने को मिली थी, जब आप ने क़रीब 4800 वोटों से जीत दर्ज की थी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में बीजेपी ने यह सीट छीन ली थी, लेकिन 880 वोटों के मामूली अंतर से। बदरपुर में जिसे भी बीजेपी ने आप से छीन लिया था, जीत का अंतर 3719 वोट था। यहां, मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने आप के लिए खेल बिगाड़ दिया, जिसके उम्मीदवार को 10436 वोट मिले और वह कांग्रेस से आगे तीसरे स्थान पर रही। 

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आप ने 2015 में बदरपुर को 47000 से ज़्यादा वोटों के बड़े अंतर से जीता था। हालांकि 2020 में सबसे करीबी मुकाबला बिजवासन में था, जिसे आप ने 753 वोटों के मामूली अंतर से बरकरार रखा। भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर रही कांग्रेस को लगभग 6,000 वोट मिले। 

आदर्श नगर में कड़े मुकाबले में आप की जीत का अंतर 2015 में 20000 से अधिक वोटों से तेजी से घटकर 2020 में 1589 हो गया। यहां तक ​​कि आप के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अपनी पटपड़गंज सीट पर मुश्किल से बच पाए। 2015 में 28000 से अधिक मतों से जीतने के बाद पांच साल बाद बीजेपी ने उनकी जीत का अंतर घटाकर मात्र 3207 मतों का कर दिया। पटपड़गंज में दोनों चुनावों में दूसरे स्थान पर रही भाजपा का वोट शेयर 2015 में 33% से बढ़कर 2020 में 47% हो गया। सिसोदिया ने इस बार सीट बदली है और वह जंगपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं, जिस निर्वाचन क्षेत्र को आप ने 2020 में 16000 से अधिक वोटों से जीता था।

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार छतरपुर में आप की जीत का अंतर 2015 में 20000 वोटों से घटकर 2020 में 3720 हो गया और कस्तूरबा नगर में 2015 में 15896 से घटकर 2020 में 3165 हो गया। 

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आप ने शालीमार बाग और कृष्णा नगर में भी अपनी जीत के अंतर में गिरावट देखी। शालीमार बाग में 2015 में जीत का अंतर 10000 वोटों से घटकर 2020 में 3440 रह गया। कृष्णा नगर में भी आप ने 2015 में भाजपा के खिलाफ 4000 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी, जो 2020 में घटकर 2277 वोट रह गई।

तो सवाल है कि क्या इन सीटों पर इस बार जीत का अंतर और कम होगा? यदि ऐसा होता है तो पासा पलट भी सकता है। पिछले चुनाव में जीत का मामूली अंतर होने से दोनों दल जी-जान से इन सीटों पर जुटे हुए हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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