जीवन के लिए कुदरत की दो नियामतें सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं- हवा और पानी। अगर हम कुदरत के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें ज़हरीला बना दें तो फिर इसका मतलब यह है कि हम जीना ही नहीं चाहते। दिल्ली की यह बदक़िस्मती है कि आज यहाँ हवा और पानी दोनों ही न तो साफ़ हैं और न ही सेफ़। कोढ़ में खाज यह है कि हवा और पानी साफ़ करने की ज़िम्मेदारी हम जिन लोगों पर डाल बैठे हैं, उन्हें इनकी फ़िक्र नहीं है। वे हवा और पानी को शुद्ध करने की बजाय एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी डालकर तमाशा देख रहे हैं। यह सच है कि सारी ज़िम्मेदारी सरकार की नहीं है लेकिन दिल्ली के बाशिंदे तो अपनी तरफ़ से जो भी कोशिश कर लें, अगर सरकारें आपस में टकराव का ऐसा तमाशा करेंगी तो सचमुच वह अफ़सोसजनक भी है और ख़तरनाक भी।