साफ़ पानी उपलब्ध कराने को मौलिक अधिकार क्यों नहीं मानती सरकार? क्या यह माना जाए कि दूरदराज तक के इलाक़ों में सभी के लिए साफ़ पेय जल की व्यवस्था प्रदान करने के दावे सिर्फ़ खोखले ही हैं?
जीवन के लिए कुदरत की दो नियामतें सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं- हवा और पानी। अगर हम कुदरत के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें ज़हरीला बना दें तो फिर इसका मतलब यह है कि हम जीना ही नहीं चाहते।