वैक्सीन की कमी के बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि फ़िलहाल 18-44 उम्र के लोगों को कोवैक्सीन की पहली खुराक नहीं दी जाएगी। इसने कहा है कि जिन्होंने पहली खुराक ले ली है और दूसरी खुराक का समय पूरा हो गया है, उन्हें ही यह दी जाएगी। दिल्ली सरकार का यह फ़ैसला तब आया है जब कोवैक्सीन की बेहद कमी है। सरकार का कहना है कि उसके पास कोवैक्सीन का स्टॉक ख़त्म हो गया है। ख़बरें तो ऐसी आ रही हैं कि वैक्सीन की कमी के बीच दिल्ली से लोग 100-200 किलोमीटर दूर तक जाकर टीके लगवा रहे हैं। दिल्ली में सत्ताधारी पार्टी आप विधायक अतिशी ने भी यह बात स्वीकार की है।
अतिशी ने कहा कि 18-44 उम्र के लोग आसपास के शहरों में जाकर टीके लगावाने शुरू कर दिए हैं। पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, 'यह एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है क्योंकि 18-44 समूह के बहुत से लोग दूसरी खुराक के लिए तय तारीख़ के क़रीब हैं। हम यह भी रिपोर्ट सुन रहे हैं कि लोग अपनी खुराक लेने के लिए मेरठ और बुलंदशहर में 100-200 किमी दूर जा रहे हैं क्योंकि यहाँ दिल्ली में कोई टीका उपलब्ध नहीं है।'
बता दें कि वैक्सीन की कमी को लेकर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने इसी हफ्ते कहा था कि कोवैक्सीन की कमी को देखते हुए दिल्ली सरकार को रणनीति पर काम करना चाहिए। दिल्ली सरकार का जो ताज़ा फ़ैसला है उसे इसी संदर्भ में देखा जा सकता है।
कोवैक्सीन का स्टॉक ख़त्म हो गया है लेकिन कोविशील्ड का स्टॉक बाक़ी है। एक दिन पहले ही रविवार को दिल्ली में क़रीब 58 हज़ार टीके लगाए गए हैं। इसमें से क़रीब 43 हज़ार लोगों को पहली खुराक लगाई गई है और 15 हज़ार लोगों को दूसरी खुराक लगाई गई है।
हालाँकि टीके की भारी कमी है और टीकाकरण की गति काफ़ी धीमी हो गई है। इसको लेकर हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक निर्देश देते रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने चार दिन पहले ही केंद्र सरकार से कहा था कि कुछ अधिकारियों पर 'मानवहत्या' का मुक़दमा चलना चाहिए क्योंकि वैक्सीन की कमी के कारण इतनी ज़्यादा मौतें हो रही हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि समय पर वैक्सीन लगाई जाती तो कितने लोगों की ज़िंदगियाँ बचाई जा सकती थीं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की थी जब देश की एक कंपनी को वैक्सीन निर्माण के लिए मंजूरी में देरी होने की शिकायत की गई। कोर्ट ने कहा कि देश में इतनी क्षमता है जिसका इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन कुछ अधिकारी उस पर कुंडली मार बैठे हैं। इसी संदर्भ में कोर्ट ने कहा कि इसके लिए ऐसे अधिकारियों पर 'मानवहत्या' का मुक़दमा होना चाहिए। गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार से राज्य में वैक्सीन की कमी पर पूछा था कि क्या वह वैक्सीन ख़रीदने के लिए पांच साल की योजना पर काम कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले बुधवार को वैक्सीन नीति को लेकर केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की थी। इसने केंद्र सरकार से कहा था कि 31 दिसंबर, 2021 तक कोरोना टीके की उपलब्धता के बारे में विस्तार से बताए।
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