शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बनाई गई समिति के सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि देश में एक साथ चुनाव करवाने का कांग्रेस विरोध करती है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि जिस देश में संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई है वहां एक साथ सभी चुनाव कराने की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा है कि यह संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो इसके लिए संविधान की मूल संरचना मेंं परिवर्तन करने पड़ेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बनी समिति के सचिव नितिन चंद्र को 17 जनवरी को चार पेज का पत्र लिखा है। समिति ने एक साथ देश में सभी चुनाव कराने को लेकर 18 अक्तूबर 2023 को कांग्रेस से सुझाव मांगे थे। इसके जवाब में मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह पत्र समिति के सचिव को लिखा है।
अपने पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने 17 बिंदुओं के साथ अपना जवाब भेजा है। इसमें उन्होंने कहा है कि देश में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि एक साथ चुनाव करवाने का विचार छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा है कि एक साथ चुनाव कराने की संभावना पर विचार करने के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति को भी भंग कर देना चाहिए। इस समिति को लेकर उन्होंने कहा है कि यह पक्षपाती है, क्योंकि इसमें विपक्षी दलों का कोई प्रतिनिधि नहीं है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पत्र में लिखा है कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए सरकार पहले ही अपनी विचार व्यक्त कर चुकी है। ऐसे में इसको लेकर समिति बनाना सिर्फ दिखावा है।
एक साथ पूरे देश में चुनाव कराने के लिए कई विधानसभाओं को भंग करना पड़ेगा जो अभी भी अपने कार्यकाल के आधे या उससे कम समय पर हैं। इन्हें भंग करना उन राज्यों के मतदाताओं के साथ धोखा होगा।
इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि इस समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद है। 2018 में संसद में उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव करवाने से विकास से जुड़े काम रुक जाते हैं।
समिति का तर्क है कि यदि एक साथ चुनाव होते हैं तो खर्च बचेगा, जो कि बिल्कुल बेबुनियाद है। इसमें कहा गया है कि अगर समिति और सरकार सच में चुनाव में होने वाले खर्च पर गंभीर है तो सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएं।
खड़गे ने कहा कि यह कहना भी गलत है कि चुनाव में आचार संहिता लगने से विकास से जुड़े कार्यों पर असर पड़ता है। चुनावों के दौरान भी पहले से चल रही योजनाएं और परियोजनाएं जारी रहती हैं।
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