नागरिकता संशोधन कानून या सीएए पर केंद्र सरकार आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करेगी। सीएए पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को सुनवाई की थी। इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च, 2024 को अधिसूचित सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाले आवेदनों पर 19 मार्च को केंद्र को नोटिस तो जारी किया था लेकिन उनके संचालन पर रोक लगाने वाला कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा था कि केंद्र के पास अपना जवाब दाखिल करने के लिए 2 अप्रैल तक का समय है।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं को 8 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करना होगा। इस खंडपीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। खंडपीठ ने कहा था कि 9 अप्रैल को वह इस मामले की अगली सुनवाई करेगी।
केंद्र सरकार ने सीएए लागू होने का नोटिफिकेशन बीते 11 मार्च को जारी किया था। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 2014 से पहले आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा कर इस पर रोक लगाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट में सीएए को चुनौती देने वाली 236 याचिकाएं दायर की गई हैं वहीं इसके नियमों को चुनौती देने वाली 20 याचिकाएँ दायर की गई हैं। इतनी सारी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
19 मार्च की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की इस खंडपीठ को बताया था कि 'सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है। उन्होंने कहा था कि उन्हें उन आवेदनों पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए।
तुषार मेहता ने यह साफ़ किया कि था कि सीएए और इसके नियम किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनते हैं। किसी नए व्यक्ति को भी इससे नागरिकता नहीं दी जा रही है। सिर्फ 2014 से पहले आए लोगों पर ही विचार किया जा रहा है।
वहीं पिछली सुनवाई में एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुई वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश देने का आग्रह किया था कि इस मामले का अंतिम फैसला आने तक किसी भी व्यक्ति को नागरिकता नहीं दी जाएगी या आदेश में कहा जाए कि नियमों के तहत दी गई कोई भी नागरिकता सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगी।
इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि 'मुद्दा यह है कि एक बार दी गई नागरिकता कानून के तहत समाप्त नहीं की जा सकती। अदालत के आदेशों के तहत, यह एक अलग मामला है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध पर कोई भी आदेश पारित करने से इंकार कर दिया था।
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