दिल्ली का इंतजार अब खत्म हो गया है क्योंकि उसे नई मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना सिंह मिल गई हैं। वह राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरीं और उन्हें केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया का भी समर्थन प्राप्त था।
पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास पर विधायकों की बैठक की, जहां आतिशी को अपना उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया गया। पूर्व आईआरएस अधिकारी केजरीवाल मंगलवार को एलजी को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव से पहले की गई है और केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की थी कि वह इस्तीफा दे देंगे और तब तक मुख्यमंत्री का पद दोबारा नहीं संभालेंगे जब तक कि दिल्ली के लोग उन्हें "ईमानदार" घोषित नहीं कर देते।
कथित शराब नीति मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया के जेल जाने के बाद से आतिशी सिंह आप सरकार का प्रमुख चेहरा बनी हुई हैं। उन्हें 2023 में दिल्ली सरकार में शिक्षा, पी.डब्ल्यू.डी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 2015-2018 तक, आतिशी ने मुख्य रूप से शैक्षिक मोर्चे पर, सिसोदिया के सलाहकार के रूप में काम किया।
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आतिशी का पूरा नाम आतिशी मार्लेना सिंह है। 8 जून 1981 को जन्मी आतिशी को अपना मध्य नाम "मार्लेना" प्रोफेसर माता-पिता विजय सिंह और तृप्ता वाही से मिला। आप के अनुसार, यह नाम मार्क्स और लेनिन का प्रतीक है। यानी मार्लेना दरअसल मार्क्स और लेनिन के नामों को जोड़कर बनाया गया है। हालांकि जैसे ही दिल्ली के चुनाव नजदीक आए, राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में आतिशी ने रोजाना के जीवन में अपने उपनाम का इस्तेमाल बंद करने और 2018 में अपने नाम के रूप में सिर्फ "आतिशी" अपनाने का फैसला किया। बताया जाता है कि केजरीवाल ने भी उन्हें ऐसा करने की सलाह दी थी कि वे सिर्फ आतिशी लिखें और कहलायें।
आतिशी ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा स्प्रिंगडेल्स स्कूल (पूसा रोड), नई दिल्ली से पूरी की। उन्होंने 2001 में दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में ग्रैजुएट की डिग्री हासिल की।
आप नेता ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में भी दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने शेवेनिंग स्कॉलरशिप हासिल की और 2003 में इतिहास में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। रोड्स स्कॉलर के रूप में, आतिशी ने 2005 में ऑक्सफ़ोर्ड के मैग्डलेन कॉलेज में दाखिला लिया था।
आतिशी की राजनीतिक यात्रा
43 साल की आतिशी ने 2013 में आम आदमी पार्टी के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और पार्टी की नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2015 में, उन्होंने मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ऐतिहासिक जल सत्याग्रह में भी भाग लिया और विरोध प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई के दौरान आप नेता और कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल को समर्थन प्रदान किया।
2019 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा को पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गौतम गंभीर के खिलाफ मैदान में उतारा गया था, जिसे आतिशी 4.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हार गईं।
2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आतिशी को दक्षिणी दिल्ली की कालकाजी सीट से टिकट दिया गया था। उन्होंने बीजेपी के धर्मबीर सिंह को 11,000 वोटों से हराया।
दिल्ली राज्य के शिक्षा परिदृश्य में एक उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया है, जिसका अधिकांश श्रेय आतिशी के प्रयासों को जाता है।
कई रिपोर्टों में दिल्ली सरकार के स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुरूप स्कूल प्रबंधन समितियों की स्थापना और निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि को रोकने के लिए नियमों को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
उन्होंने "हैप्पीनेस" पाठ्यक्रम भी पेश किया, जिसका उद्देश्य छात्रों के समग्र कल्याण और भावनात्मक विकास को बढ़ाना है।
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