प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनी हुई सरकार के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के एक दिन बाद आम आदमी पार्टी ने केंद्र पर बड़ा आरोप लगया है। उसने केंद्र पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए फिर से शीर्ष अदालत का रुख किया है। उसने आरोप लगाया है कि केंद्र उसके सेवा सचिव के तबादले को लागू नहीं कर रहा है। इसने कहा है कि यह एक दिन पहले दिए गए शीर्ष अदालत के आदेश की अवमानना हो सकती है।
शीर्ष अदालत ने गुरुवार को फ़ैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सेवाओं के प्रशासन पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं। अदालत ने कहा था कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रभावित होता है। अगर अधिकारियों को लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से अछूते हैं, तो यह जवाबदेही को कम करेगा और शासन को प्रभावित करेगा।
सुनवाई के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में शीर्ष अदालत ने कहा कि वह न्यायमूर्ति भूषण के खंडित फैसले से सहमत नहीं है कि दिल्ली सरकार के पास सभी सेवाओं पर कोई शक्ति नहीं है।
सेवाओं पर नियंत्रण के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली सरकार ने सेवा सचिव आशीष मोरे को हटा दिया था। उनकी जगह अनिल कुमार सिंह को नए सेवा सचिव के रूप में नियुक्त करने का फ़ैसला लिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी सरकार पिछले आठ वर्षों से कई मुद्दों से जूझ रही है। उन्होंने जोर देकर कहा था कि दिल्लीवासी अगले कुछ दिनों में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव देखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के तुरंत बाद एक संवाददाता सम्मेलन में केजरीवाल ने संकेत दिया था कि सार्वजनिक कार्यों में बाधा डालने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा था, 'सतर्कता अब हमारे पास होगी। ठीक से काम नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है।'
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने ट्वीट किया, 'निर्वाचित सरकार के पास अधिकारियों के तबादले-पोस्टिंग की शक्ति होगी। अधिकारी चुनी हुई सरकार के माध्यम से ही काम करेंगे।'
वर्षों से केजरीवाल ने अक्सर शिकायत की है कि वह एक चपरासी भी नियुक्त नहीं कर सके या किसी अधिकारी का स्थानांतरण नहीं कर सके। उन्होंने कहा था कि नौकरशाहों ने उनकी सरकार के आदेशों का पालन नहीं किया क्योंकि उनका नियंत्रक प्राधिकारी गृह मंत्रालय था।
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