पाकिस्तान स्थित एक प्रमुख अंग्रेजी अख़बार 'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब और न्यायमूर्ति समन रफत इम्तियाज की खंडपीठ ने पीटीआई प्रमुख इमरान की जमानत याचिका पर कोर्ट नंबर 2 में सुनवाई की। डॉन न्यूज टीवी ने बताया कि इमरान के वकीलों ने चार अतिरिक्त याचिकाएँ भी दायर की थीं, जिसमें आईएचसी से इमरान के खिलाफ सभी मामलों को जोड़ने और अधिकारियों को उनके खिलाफ दर्ज मामलों का विवरण देने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।
इमरान पिछले साल अप्रैल में अविश्वास मत के जरिए अपदस्थ किए जाने के बाद से कई मामलों का सामना कर रहे हैं। वर्तमान में उन पर आतंकवाद, ईशनिंदा, हत्या, हिंसा, हिंसा भड़काने से जुड़े 140 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। हालाँकि, उन्होंने इन सभी मामलों को सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा राजनीतिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए खारिज कर दिया है।
क्रिकेटर से राजनेता बने 70 वर्षीय इमरान खान को मंगलवार को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था जब वह एक मामले की सुनवाई के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में प्रवेश कर रहे थे। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय यानी आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने आईएचसी परिसर में हो रही गिरफ्तारी पर कड़ी आपत्ति जताई थी। डॉन की रिपोर्ट में कहा गया कि अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने पलटवार किया था कि क्या पार्किंग स्थल और आईएचसी के अन्य क्षेत्रों को कोर्ट रूम के समान माना जाना चाहिए।
इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद से ही पाकिस्तान के कई शहरों में उनके समर्थकों ने हिंसात्मक प्रदर्शन किए हैं। उनके समर्थकों ने बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लाहौर स्थित घर पर हमला किया। ऐसी हिंसा में कई लोगों की जानें गई हैं। लगातार प्रदर्शन और हिंसा की ख़बरों के बीच इमरान की गिरफ़्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा था।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी को 'गैरकानूनी' बताया और उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया।
बहरहाल, इस्लामाबाद हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई शुरू में लगभग दो घंटे की देरी हुई क्योंकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अधिकारी अदालत कक्ष के बाहर सुरक्षा जांच कर रहे थे। जियो न्यूज के अनुसार इमरान समर्थक नारे लगाए जाने के बाद न्यायाधीशों ने अदालत कक्ष छोड़ दिया था।
दोपहर ढाई बजे के बाद जब सुनवाई फिर से शुरू हुई तो इमरान अपनी क़ानूनी टीम के साथ अदालत कक्ष में मौजूद थे और उनके वकील ख्वाजा हारिस ने अपनी दलीलें पेश कीं। हारिस ने अदालत के सामने तर्क दिया कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की कार्रवाई अवैध थी। उन्होंने कहा कि एनएबी औपचारिक रूप से एक जांच में बदल जाने के बाद ही गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है।
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