डॉ. गुप्ता पर 50 करोड़ से अधिक की सरकारी रकम हड़पने के भी आरोप हैं। दर्ज एफ़आईआर के अलावा महालेखाकार की रिपोर्ट के तहत भी डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ एक और नई एफ़आईआर दर्ज करने की तैयारी चल रही है।
रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में मशीनों की ख़रीद-फरोख़्त से लेकर दवाओं की ख़रीद और कैंटीन के ठेकों तक में हुए भ्रष्टाचार में डॉ. पुनीत गुप्ता के लिप्त पाए जाने के आरोप हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने स्वास्थ्य परीक्षण के काम आने वाली बेशक़ीमती मशीनों की ख़रीद को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इस मामले को उठाया था। लेकिन तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के ‘दामाद जी’ का बाल भी बांका नहीं हुआ था।
- डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ रायपुर के पंडरी थाने में कांग्रेस नेत्री डॉ. किरणमयी नायक के आवेदन पर धारा 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत पहली एफ़आईआर दर्ज की गई है। जबकि दूसरी एफ़आईआर रायपुर के गोल बाज़ार थाने में इसी साल 15 मार्च को दर्ज की गई।
पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ अपराध क्रमांक 70/19, आईपीसी की धारा 409, 467, 468, 420 और 120 के तहत मामला दर्ज किया है। डीकेएस अस्पताल प्रबंधन की ओर से डायरेक्टर डॉ. के.के. सहारे ने मामला दर्ज कराया है। बता दें कि जब डीकेएस अस्पताल बनकर तैयार हो रहा था, उस वक़्त पुनीत गुप्ता अस्पताल के अधीक्षक थे। बताया जा रहा है कि डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ महालेखाकार ने ऑडिट शुरू कर दिया है।
- बीते कई दिनों से तीन अफ़सर रायपुर के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में डेरा जमाए हुए हैं। अफ़सर हर फ़ाइल की गहनता से जाँच कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अस्पताल में गड़बड़ियों का कच्चा चिट्ठा जल्द खुल सकता है।
डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ जाँच शुरू होने से उनसे विभागीय तौर पर जुड़ा हर शख़्स दहशत में है। पुलिस अधीक्षक द्वारा सीएसपी आज़ाद चौक के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय जाँच टीम ने शनिवार को अस्पताल के उन डॉक्टर्स, स्टाफ़ के बयान दर्ज किए थे जो डॉ. पुनीत गुप्ता के क़रीबी बताए जा रहे हैं। लेकिन अभी अधीक्षक डॉ. केके सहारे का बयान होना बाक़ी है।
डॉ. पुनीत गुप्ता पहले रायपुर के मेडिकल कॉलेज में बतौर साधारण डॉक्टर किडनी विभाग में पदस्थ थे। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह का दामाद बनने के बाद उनकी लॉटरी खुल गई!
आरोप हैं कि सरकारी पैसों पर देश-विदेश घूमने के अलावा डॉ. पुनीत गुप्ता ने तमाम क़ायदे-क़ानूनों को दरकिनार कर मेडिकल उपकरण और मशीनें थोक के भाव ख़रीदनी शुरू कर दी थीं।
उन आरोप तो यह भी लगाये गये हैं कि मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में होने वाले तमाम ठेकों में डॉ. पुनीत गुप्ता की हिस्सेदारी तय होती थी और स्वास्थ्य विभाग में ज़्यादातर काम ठेकों पर संचालित होने लगा था।
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद निष्पक्ष जाँच के लिए मेडिकल प्रशासन ने डॉ. पुनीत गुप्ता को किडनी विभाग से हटाकर मेडिकल कॉलेज में बतौर ओएसडी स्थानांतरित कर दिया था।
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