विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस अधिकारी एस. आर. पी. कल्लूरी को आदिवासियों का दमन करने वाला दुर्दांत अधिकारी बताने वाले भूपेश बघेल ने कल्लूरी को एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) जैसे महत्वपूर्ण विभाग का आईजी बनाया है। कल्लूरी को पानी पी-पी कर कोसने वाली कांग्रेस सत्ता में आते ही ऐसा फ़ैसला लेगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। इस निर्णय पर चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है।
अंचभित करने वाला है फ़ैसला
मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनाव जीतने से पहले एक नहीं कई मौक़ों पर कहा था कि वह देश की बदनामी करा रहे हैं। उन्होंने यहाँ तक कहा था कि ऐसे व्यक्ति को शिकंजे में कस देना चाहिए। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने रमन सरकार को कल्लूरी को लेकर घेरा था। ऐसे में भूपेश सरकार का यह फ़ैसला अचंभित करने वाला है।
बीजेपी सरकार ने बस्तर में कल्लूरी को नियुक्त किया था। कल्लूरी पर आरोप है कि उनके रहते हुए आदिवासी, पत्रकार और आम लोगों पर काफ़ी ज़ुल्म हुए। ख़ासकर पत्रकारों पर हमला किया गया। उसी दौरान फ़र्ज़ी मुक़दमे लगाकर संतोष यादव, प्रभात सिंह, सोमारु जैसे जिले स्तर के पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया। छह महीने बाद कल्लूरी को हटाना पड़ा था। कल्लूरी पर बलात्कार का भी आरोप लगा था। लेदा नाम की महिला ने आरोप लगाया था कि कल्लूरी ने उसके नक्सली पति को आत्मसमर्पण के लिए बुलाया, लेकिन उसे गिरफ़्तार न करके उसे गोली मार दी और लेदा के साथ बलात्कार किया।
कल्लूरी ने जिन 1200 नक्सलियों का आत्मसमर्पण करवा कर शोहरत बटोरी, उसकी पोल सरकार की गठित एक कमेटी ने ही खोल दी थी। कमेटी के मुताबिक़, 1200 में से केवल तीन नक्सली थे। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कल्लूरी से मानवाधिकार के उल्लंघन मामले में लगे आरोपों पर सफ़ाई भी माँगी थी, लेकिन उन्होने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था।
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