प्रियंका गाँधी के राजनीति में आ जाने के बाद एक बार फिर राजनीति में वंशवाद, परिवारवाद, भाई-भतीजावाद को लेकर बहस छिड़ गई है। दक्षिण भारत की राजनीति में भी परिवारवाद ही हावी है। सभी असरदार क्षेत्रीय पार्टियों में परिवारवाद है, एक परिवार के इर्द-गिर्द ही राजनीति घूमती-फिरती है। और तो और, आने वाले दिनों में स्थिति-परिस्थिति के बदलने के आसार भी नहीं हैं, क्योंकि बड़े नेताओं के राजनीतिक वारिस उन्हीं के परिवार से हैं। हालाँकि इनके बीच ही केरल एक ऐसा राज्य है जहाँ परिवारवाद मोटे तौर पर नहीं के बराबर है।
दक्षिण की राजनीति में भी परिवारवाद, पर दिल्ली जैसा शोर नहीं
- राजनीति
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- अरविंद यादव
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- 4 Feb, 2019

अरविंद यादव
प्रियंका गाँधी के राजनीति में आ जाने के बाद एक बार फिर राजनीति में वंशवाद, परिवारवाद, भाई-भतीजावाद को लेकर बहस छिड़ गई है। दक्षिण भारत की राजनीति में भी परिवारवाद ही हावी है। हालाँकि केरल में स्थिति अलग है।
तेलंगाना
तेलंगाना में सत्तारूढ़ पार्टी- तेलंगाना राष्ट्र समिति एक परिवार की पार्टी माने जाने लगी है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के परिवार के पाँच लोग बड़े पदों पर हैं। केसीआर ने अपने विधायक बेटे के. तारक रामा राव (केटीआर) को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना कर परोक्ष रूप से उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। उनकी बेटी कविता सांसद हैं। बहन के बेटे हरीश राव विधायक तो एक और क़रीबी रिश्तेदार संतोष राज्यसभा सदस्य हैं। पार्टी में इन्हीं पाँचों का वर्चस्व है।
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