प्रियंका गाँधी के राजनीति में आ जाने के बाद एक बार फिर राजनीति में वंशवाद, परिवारवाद, भाई-भतीजावाद को लेकर बहस छिड़ गई है। दक्षिण भारत की राजनीति में भी परिवारवाद ही हावी है। सभी असरदार क्षेत्रीय पार्टियों में परिवारवाद है, एक परिवार के इर्द-गिर्द ही राजनीति घूमती-फिरती है। और तो और, आने वाले दिनों में स्थिति-परिस्थिति के बदलने के आसार भी नहीं हैं, क्योंकि बड़े नेताओं के राजनीतिक वारिस उन्हीं के परिवार से हैं। हालाँकि इनके बीच ही केरल एक ऐसा राज्य है जहाँ परिवारवाद मोटे तौर पर नहीं के बराबर है।