पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार रात को फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के लिए नेशनल असेंबली (पाकिस्तानी संसद) के डिप्टी स्पीकर का फैसला असंवैधानिक था। अदालत ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी ने जिस तरह पीएम इमरान खान के कहने पर नेशनल असेम्बली को भंग किया, वो भी गैर कानूनी है। पाकिस्तानी असेम्बली का सत्र शनिवार को बुलाया जाए। चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच और जस्टिस मुनीब अख्तर, जस्टिस जमाल खान मंडोखेल, जस्टिस इजाजुल अहसन और जस्टिस मजहर आलम खान ने आम राय से फैसले की घोषणा की।
फैसले से पहले सुनवाई के दौरान जिस तरह चीफ जस्टिस और अन्य जजों की टिप्पणियां आ रही थीं, उससे लगता था कि फैसला इमरान खान सरकार के खिलाफ आएगा।फैसला सुनाने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा को तलब किया, जो वॉचडॉग की कानूनी टीम के साथ अदालत पहुंचे। अदालत ने उनसे पूछा कि आम चुनाव कितने दिनों में कराए जा सकते हैं, सीईसी ने कहा कि चुनाव कराने के लिए आयोग हर वक्त तैयार है। वो तीन महीने में प्रक्रिया पूरी कर सकता है। लेकिन अभी तमाम सीटों का परिसीमन नहीं हुआ है। अदालत ने पूछा कि परिसीमन कितने दिनों में हो जाएगा, सीईसी ने कहा कि इसमें 8 से 9 महीने लग सकते हैं। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी के नेशनल असेंबली को भंग करने का निर्णय "अवैध" था। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सुबह 10:30 बजे नेशनल असेंबली का सत्र फिर से बुलाने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के निष्कर्ष के बिना सत्र को स्थगित नहीं किया जा सकता है।चीफ जस्टिस बंदियाल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने 3 अप्रैल को फैसला सुनाया था। 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर नोटिस दिया गया था। फैसले में कहा गया कि सरकार विधानसभा सत्र में किसी भी एमएनए की भागीदारी में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। अदालत ने आगे कहा कि मौजूदा आदेश संविधान के अनुच्छेद 63 के तहत कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा।नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि अदालत निश्चित रूप से लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरी है।
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