जिस तालिबान के खौफ में हज़ारों लोग अफ़ग़ानिस्तान छोड़ रहे हैं और काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी की तसवीरें आई थीं उसी तालिबान के ख़िलाफ़ पहली बार कई महिलाओं ने प्रदर्शन किया है। इसके दो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए हैं। एक वीडियो में दिखता है कि कुछ लोग बंदूकें लेकर खड़े हैं और चार महिलाएँ हाथों में तख्ती लिए हुए हैं। एक अन्य वीडियो में कई महिलाएँ हाथों में तख़्ती लिए हुए नारे लगा रही हैं। सोशल मीडिया पर उन महिलाओं के साहस की तारीफ़ की जा रही है।
काबुल पर कब्जे के बाद हुए महिलाओं के इस प्रदर्शन के बारे में ईरानी पत्रकार और एक्टिविस्ट मसीह अलीनेजाद ने ट्वीट किया है, 'ये बहादुर महिलाएँ तालिबान के विरोध में काबुल में सड़कों पर उतरीं। वे सीधा-साधे अपने अधिकार, काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और राजनीतिक भागीदारी का अधिकार मांग रही हैं। एक सुरक्षित समाज में रहने का अधिकार। मुझे आशा है कि अधिक महिलाएँ और पुरुष उनके साथ जुड़ेंगे।'
These brave women took to the streets in Kabul to protest against Taliban. They simplify asking for their rights, the right to work, the right for education and the right to political participation.The right to live in a safe society. I hope more women and men join them. pic.twitter.com/pK7OnF2wm2
— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) August 17, 2021
ये महिलाएँ ऐसी मांगें इसलिए रख रही हैं क्योंकि तालिबान के लड़ाकों ने काबुल में दाखिल होते ही महिलाओं को निशाने पर लेना शुरू कर दिया। तालिबान ने काबुल में कई जगहों पर उन पोस्टरों पर कालिख पोत दी है या उन्हें हटा दिया है, जिन पर महिलाओं की तसवीरें लगी हुई थीं। ये पोस्टर सड़कों पर लगे हुए थे। तालिबान ने महिलाओं के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों के विज्ञापन में लगी महिलाओं की तसवीरें भी हटा दी हैं। बैंकों, निजी व सरकारी कार्यालयों में जाकर वहाँ काम कर रही महिलाओं से कह रहे हैं कि वे अपने घर लौट जाएँ और दुबारा यहाँ काम करने न आएँ।
अज़ीज़ी बैंक के अकाउंट विभाग में काम करने वाली नूर ख़तेरा ने रॉयटर्स से कहा, 'यह वाकई बहुत अजीब है कि मुझे काम नहीं करने दिया जा रहा है, पर यहाँ तो अब यही होना है।'
पहले ख़बर आई थी कि टीवी चैनलों से भी महिला पत्रकारों को निकाल दिया गया था लेकिन बाद में एक टीवी चैनल पर तालिबान के मीडिया विभाग ने महिला पत्रकार को साक्षात्कार दिया। वहाँ के टोलो न्यूज़ ने भी फिर से महिला एंकरों को काम पर रख लिया है।
रविवार को काबुल पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद कई महिलाएँ अपनी जान और सुरक्षा के डर से अफ़ग़ानिस्तान से भाग गईं। काबुल से दिल्ली पहुँची एक अफ़ग़ान महिला ने कहा कि उसे अपने घर में रह रहे उसके दोस्तों की सुरक्षा का डर है। महिला ने कहा, 'हमारे दोस्त मारे जा रहे हैं। वे हमें मारने जा रहे हैं। हमारी महिलाओं को कोई और अधिकार नहीं मिलने वाला है।' महिलाओं के अपहरण और तालिबान लड़ाकों से जबरन शादी करने की भी ख़बरें थीं। हालांकि, तालिबान ने ऐसी रिपोर्टों का खंडन करते हुए कहा कि वे महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे लेकिन इस्लामी क़ानून के दायरे में ही।
तालिबान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन का ऐसा ही एक और वीडियो ट्विटर पर शेयर किया जा रहा है जिसमें क़रीब 7-8 महिलाएँ दिखती हैं।
Another view of the first women’s protest in Kabul following the takeover by the Taliban—sound ON:pic.twitter.com/BjRpPV5AJa
— Leah McElrath 🏳️🌈 (@leahmcelrath) August 17, 2021
बता दें कि रविवार को तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अल ज़ज़ीरा से कहा था कि 'महिलाओं को हिजाब पहनना होगा, इसके साथ वे चाहें तो घर के बाहर निकलें, दफ़्तरों में काम करें या स्कूल जाएं, हमें कोई गुरेज नहीं होगा।' एंकर के यह पूछे जाने पर कि 'क्या हिजाब का मतलब सिर्फ सिर ढंकने वाला हिजाब है या पूरे शरीर को ढकने वाला बुर्का' तो प्रवक्ता ने कहा कि 'सामान्य हिजाब ही पर्याप्त होगा।'
तालिबान के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने का वादा किया।
यह चिंता की बात इसलिए ज़्यादा है क्योंकि जब तालिबान सत्ता में आखिरी बार थे तब महिलाओं को बड़े पैमाने पर घरों तक ही सीमित रखा गया था, उन्हें पढ़ने या काम करने की अनुमति नहीं थी, और केवल पुरुष संरक्षक के साथ ही यात्रा कर सकते थे।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हम महिलाओं को काम करने और पढ़ने की अनुमति देने जा रहे हैं। हमें निश्चित रूप से ढाँचे मिल गए हैं। महिलाएँ समाज में बहुत सक्रिय होने जा रही हैं लेकिन इस्लाम के ढाँचे के दायरे में।'
लेकिन एक्टिविस्ट और विश्व के नेता तालिबान के शासन में होने वाले संभावित मानवाधिकार उल्लंघनों की ओर इशारा करते हुए चिंता जता रहे हैं। अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर में से एक ज़रीफ़ा गफ़री ने पहले कहा था कि उसके पास तालिबान के आने और फिर ख़ुद के मारे जाने का इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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