ममता बनर्जी क्या अब 'दीदी' कहा जाना पसंद नहीं करती हैं? आख़िर उन्होंने अब 'बंगाल की बेटी' का नारा क्यों दिया है? ममता के समर्थक और उनकी पार्टी के नेता नये नारे- 'बंगला निजेर मयेके छै' यानी 'बंगाल अपनी ही बेटी चाहता है' को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। क्या 'दीदी' शब्द में वो ताक़त नहीं बची है, क्योंकि बीजेपी नेता सहित उनके विरोधी भी उन पर 'ममता दीदी' कहकर हमला और तंज कसते हैं? या फिर उन्हें लगता है कि दीदी से ज़्यादा 'बंगाल की बेटी' लोगों को उनसे ज़्यादा जुड़ाव महसूस कराएगा?