नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परपोते और बीजेपी के ही नेता चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता क़ानून का विरोध किया है। उन्होंने इस क़ानून को भारत के धर्मनिरपेक्ष विचार के ख़िलाफ़ बताया है। उनका यह विरोध ऐसे समय में आया है जब बीजेपी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में नागरिकता क़ानून के समर्थन में बड़ी रैली की। इसके बाद ही चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ ट्वीट किया। बोस पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता हैं और राज्य में पार्टी के उपाध्यक्ष हैं। यह बीजेपी के लिए क़रारा झटका है। वैसे, पार्टी को झटका तो झारखंड चुनाव में भी लगा है और कहा जा रहा है कि बीजेपी को नागरिकता क़ानून का फ़ायदा नहीं, बल्कि बड़ा नुक़सान हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर अमित शाह तक काफ़ी बढ़-चढ़ कर नागरिकता क़ानून को हिंदू ध्रुवीकरण के नज़र से पेश कर रहे थे।
इसी बीच चंद्र कुमार बोस ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, 'यदि सीएए2019 (नागरिक़ता संशोधन क़ानून) किसी धर्म से संबंधित नहीं है तो हम इसमें सिर्फ़ हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन का ही ज़िक्र क्यों कर रहे हैं! मुसलिम को भी शामिल क्यों नहीं करते? पारदर्शी बनें।'
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'भारत को न तो किसी देश की बराबरी करनी चाहिए न ही इसकी तुलना की जानी चाहिए- क्योंकि यह देश सभी धर्मों और समुदायों के लिए खुला है।'
Don't equate India or compare it with any other nation- as it's a nation Open to all religions and communities
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) December 23, 2019
बोस का यह ट्वीट अमित शाह के बयान के ख़िलाफ़ है। अमित शाह सीधे-सीधे कहते रहे हैं कि इस क़ानून का धर्म से कोई लेनादेना नहीं है। यानी बोस सीधे-सीधे अमित शाह को निशाने पर ले रहे हैं।
इसके बाद चंद्र कुमार बोस ने अमित शाह के एक और बयान पर निशाना साधा। अमित शाह ने संसद में भी नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि इन देशों में मुसलिम उत्पीड़ित नहीं हैं। इसी संदर्भ में बोस ने ट्वीट किया, ‘यदि मुसलिम अपने देशों में उत्पीड़ित नहीं हैं तो वे (भारत में) नहीं आएँगे, इसलिए उनको शामिल करने में कोई नुक़सान नहीं है। हालाँकि, यह पूरी तरह सही नहीं है- बलूच के बारे में क्या ख़्याल है जो पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में रहते हैं? पाकिस्तान में अहमदिया के बारे में क्या विचार है?’
If Muslims are not being persecuted in their home country they would not come,so there's no harm in including them. However, this is not entirely true- what about Baluch who live in Pakistan & Afghanistan? What about Ahwadiyya in Pakistan?
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) December 24, 2019
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