पेड़ से लटकता शव
ताज़ा मामले में रविवार को हुगली जिले में गणेश राय नामक एक बीजेपी कार्यकर्ता का शव पेड़ से लटकता हुआ बरामद किया गया। पार्टी ने इस कथित हत्या के लिए तृणमूल कांग्रेस के गुंडों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए दोषिय़ों की गिरफ़्तारी की मांग करते हुए आंदोलन शुरू किया है।यह महज संयोग नहीं है कि हाल के महीनों में बीजेपी के जितने नेताओं की मौत हुई है, उनमें से ज़्यादातर के शव रहस्यमय परिस्थितियों में पेड़ या खंभे से लटकते बरामद हुए हैं।
निशाने पर बीजेपी?
इससे पहले बीती 28 जुलाई को पूर्व मेदिनीपुर ज़िले के हल्दिया में बीजेपी के एक बूथ अध्यक्ष का का शव भी इसी स्थिति में बरामद हुआ था। इससे पहले बीजेपी नेता और उत्तर दिनाजपुर ज़िले के हेमताबाद के विधायक देबेंद्र नाथ राय का शव भी घर से कुछ दूर एक खंभे से वलटकता मिला था। मेदिनीपुर इलाक़े में ऐसी कम से कम चार घटनाएँ हो चुकी हैं।“
'हत्याओं के इस सिलसिले पर तत्काल अंकुश लगाया जाना चाहिए। बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले लगातार बढ़ने के बावजूद खुद को लोकतंत्र के पहरुआ होने का दावा करने वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने चुप्पी साध रखी है।'
लॉकेट चटर्जी, बीजेपी सांसद, हुगली
हत्या पर राजनीति?
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी के तमाम आरोपों को निराधार बताया है। पार्टी के महासचिव औऱ राज्य के शहरी विकास मंत्री फ़िरहाद हक़ीम कहते हैं कि यह तमाम मौतें पारिवारिक कलह, निजी दुश्मनी और बीजेपी की अंदरूनी गुटबाजी का नतीजा हैं। बीजेपी इन घटनाओं को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रही हैं।फ़िरहाद हक़ीम का कहना है कि हर मौत दुर्भाग्यपूर्ण होती है। लेकिन उनके राजनीतिकरण का प्रयास भी कम दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है।
हुगली ज़िले के गोघाट के तृणमूल कांग्रेस विधायक मानस मजुमदार तो उल्टे बीजेपी कार्यकर्ताओं पर तृणमूल के दफ्तर में तोड़-फोड़ करने औऱ इलाके में हिंसा और सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाते हैं। उनका आरोप है कि बीजेपी जबरन तमाम मामलों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रही है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि वर्ष 2018 के पंचायत चुनावों से पहले राज्य में जिस तरह हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ था, अब अगले साल के विधानसभा चुनावों से पहले भी 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' की तर्ज पर इस सिलसिले के तेज़ होने का अंदेशा है।
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