ममता बनर्जी मंत्रिमंडल और तृणमूल कांग्रेस से हटाए जाने के एक दिन बाद पार्थ चटर्जी ने आज अपनी सफाई में कहा है कि उन्हें एक साज़िश में फँसाया जा रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी और कैबिनेट से निकाले जाने पर प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा है, 'वक़्त ही बताएगा।' पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग यानी एसएससी भर्ती के कथित घोटाले में छह दिन पहले पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया गया है।
ईडी ने शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के तहत क़रीब हफ़्ते भर पहले बंगाल के दो मंत्रियों- पार्थ चटर्जी और परेश अधिकारी के आवासों पर छापा मारा था। 23 घंटे की पूछताछ के बाद चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद पार्थ चटर्जी की क़रीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
पार्थ चटर्जी क़रीब दो दशक तक टीएमसी के महासचिव रहे। उन्हें इस साल की शुरुआत में पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वह ममता बनर्जी सरकार में मंत्री भी थे। पश्चिम बंगाल एसएससी भर्ती घोटाले में आरोप लगने और गिरफ़्तारी होने के बाद उनको हटाए जाने का भारी दबाव था।
इस बीच पार्थ चटर्जी की क़रीबी अर्पिता मुखर्जी के घर ईडी ने छापा मारा था। पहले ख़बर आई थी कि उनके घर से क़रीब 20 करोड़ बरामद हुए। हालाँकि, बाद में उनके एक और फ्लैट में छापे में उनके घर से क़रीब 30 करोड़ रुपये और मिलने का दावा किया गया था।
इन घटनाक्रमों के बाद पार्थ चटर्जी को गुरुवार को कैबिनेट मंत्री के पद से हटा दिया गया।
पार्थ चटर्जी वर्तमान में ममता बनर्जी सरकार के उद्योग और राज्य संसदीय मामलों के विभागों को संभालते हैं। चटर्जी पर स्कूल सेवा आयोग यानी एसएससी की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से की गई नियुक्तियों में धांधली का आरोप है। जब भर्तियाँ की गई थीं तब चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। इससे पहले उनसे सीबीआई भी इसी मामले में पूछताछ कर चुकी है।
पार्थ चटर्जी तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में थे और पश्चिम बंगाल में जब वामदलों की सरकार थी तब ममता बनर्जी के साथ मिलकर उन्होंने वामदलों की सरकार को हटाने के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। पश्चिम बंगाल की सियासत में पार्थ चटर्जी का अच्छा-खासा दबदबा रहा है। ममता बनर्जी उन्हें पार्थो दा कहकर पुकारती हैं और उन पर बहुत भरोसा करती थीं।
2021 में नारदा स्टिंग मामले में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की थी। सीबीआई ने पूछताछ के बाद इन चारों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था।
नारदा केस में सीबीआई ने अप्रैल 2017 में कोर्ट के आदेश के बाद एक एफ़आईआर दर्ज की थी। इसमें टीएमसी के क़रीब 13 नेताओं के नाम थे और उनमें से कई से पूछताछ की गई थी। इसमें मुकुल रॉय भी शामिल थे।
हालाँकि बाद में मुकुल रॉय बीजेपी में शामिल हो गए थे और इसके बाद आरोप लगाया जाता है कि मुकुल रॉय के ख़िलाफ़ आरोपों और जाँच को दबा दिया गया। कुछ साल बीजेपी में रहने के बाद मुकुल रॉय अब फिर से टीएमसी में वापस लौट चुके हैं।
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