बंगाली राष्ट्रवाद
उग्र राष्ट्रवाद के सामने बंगाली राष्ट्रवाद और उग्र हिन्दुत्व के सामने सॉफ़्ट हिन्दुत्व को वह चुनावी मुद्दा बनाएँगी। प्रतीकों की राजनीति करने वाली बीजेपी को ममता प्रतीकों की राजनीति से ही जवाब देंगी, अंतर इतना होगा कि ये प्रतीक बंगाली अस्मिता से जुड़े होंगे जो सीधे बंगालियों को अपील करेंगे।मूर्ति तोड़ने के मुद्दे ने ज़ोर पकड़ा। पूरे पश्चिम बंगाल में बीजेपी की तीखी आलोचना हुई, पार्टी के लोग सफ़ाई देते रहे कि यह काम उन्होंने नहीं किया, पर यह मामला उनके हाथ से निकल गया। इसे ममता बनर्जी ने सीधे बंगाली अस्मिता से जोड़ा और प्रचारित किया कि यह पार्टी बांग्ला मूल्यों के ख़िलाफ़ है, गैर-बंगालियों की पार्टी है।
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— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) June 11, 2019
राज्य सरकार ने यह ध्यान रखा कि इस कार्यक्रम में ‘बंगालीपन’ को ऊपर रखा जाए, इसके साथ ही हिन्दुत्व से जुड़े तत्वों को भी सामने लाया जाए। रामकृष्ण मठ के कई वरिष्ठ भिक्षुओं को न्योता गया और उन्हें मंच पर जगह दी गई। इसके साथ ही बंगाली बुद्धिजीवी समुदाय के लोगों, ख़ास कर कलाकारों और फिल्मकारों को बुलाया गया था।
बीजेपी पर हमला
मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री ख़ुद सबके पास जाकर उन्हें मूर्ति तक ला रही थीं और उन्हें माला चढ़ाने का आग्रह कर रही थीं। हालाँकि उन्होंने इन लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा, पर ये सारे लोग बंगालियों के दिल के क़रीब हैं और कम से कम शहरी बंगालियों को अपील तो करते ही हैं।बीजेपी की आक्रामकता
लेकिन ममता बनर्जी की यह रणनीति बीजेपी की आक्रामकता को किस हद तक रोक पाएगी और बंगाली राष्ट्रवाद बीजेपी के उग्र राष्ट्रवाद को कार्यकर्ताओं के स्तर पर कितना कमज़ोर कर पाएगा, इस पर संदेह है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी और तृणमूल के कार्यकर्ताओं के बीच की लड़ाई बढ़ती जा रही है, वह पिछले कुछ दिनों में हिंसक हो गई। इस हिंसा के शिकार दोनों ही दलों के लोग हो रहे हैं, पर क़ानून व्यवस्था दुरुस्त रखने की ज़िम्मेदारी सरकार की है। लिहाज़ा, हिंसा की हर वारदात के साथ तृणमूल का आधार थोड़ा सा कमज़ोर होता जा रहा है। केंद्र की सरकार में होने के कारण बीजेपी को उसका अलग फ़ायदा है कि वह बात-बात पर राज्य सरकार को भंग करने की धमकी देकर अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रही है।West Bengal: BJP leader Mukul Roy writes to Home Minister Amit Shah in response to the letter TMC wrote to HM on June 9; states,'There has been a complete breakdown of state machinery and if steps are not taken urgently to contain the situation, the same will go out of hands.' pic.twitter.com/2tCLcTJOCl
— ANI (@ANI) June 11, 2019
बीजेपी की इस आक्रामकता को रोकने के लिए ममता बनर्जी क्या करेंगी, यह सवाल बार-बार उठता है। संसदीय चुनावों से यह साफ़ हो गया कि तृणमूल कांग्रेस बीजेपी के उग्र हिन्दुत्व को रोकने में नाकाम रही, उसका सॉफ़्ट हिन्दुत्व भी किसी काम न आया।
जय माँ काली
इसके उलट बीजेपी ने राम और रथ को पीछे कर काली के प्रतीक का प्रयोग करना बेहतर समझा क्योंकि पश्चिम बंगाल की जनमानस के क़रीब राम नहीं, काली हैं। बीजेपी ने ‘जय माँ काली’ का नारा बुलंद किया, लेकिन ममता बनर्जी ने तुरंत अपना पैंतरा बदला। इसे उनके ट्विटर अकाउंट से समझा जा सकता है जहाँ उन्होंने काली की प्रतिमा को लगाया।
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