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राम मंदिर के मुद्दे पर शिवसेना के सुर लोकसभा चुनाव के बाद बदल गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में नारा दिया था- 'पहले मंदिर फिर सरकार', लेकिन उसी शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने अब अयोध्या पहुँचकर कहा है कि राम मंदिर का काम मोदी, योगी के साथ हम मिल कर पूरा करेंगे। तो शिवसेना का रूख़ अब नरम क्यों पड़ा? और यदि दोनों दलों- बीजेपी और शिवसेना के बीच आपसी सहमति ही है तो फिर शिवसेना के सभी सांसदों को अयोध्या क्यों लाया जा रहा है? कहीं यह महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दबाव की राजनीति तो नहीं है? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों दलों के बीच सीट के बँटवारे पर स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है और बताया जा रहा है कि इस पर पेच फँसा है।
हालाँकि राउत ने यात्रा को लेकर सफ़ाई दी कि पार्टी ने पिछली अयोध्या यात्रा में कहा था कि चुनाव के बाद विजयी सांसदों के साथ राम लला का दर्शन करने आएँगे, उसी क्रम में शिवसेना प्रमुख 18 सांसदों के साथ 16 जून को राम लला का दर्शन करने अयोध्या आ रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह आस्था का दौरा है, राजनीतिक नहीं। राउत ने पिछले दौरे का ज़िक्र तो किया लेकिन पिछली यात्रा में मोदी सरकार पर हमले को लेकर सवाल का गोलमोल जवाब दे दिया। राउत ने कहा कि बीजेपी और शिवसेना के बीच राम मंदिर को लेकर कोई मतांतर नहीं है, लोकसभा चुनाव के पहले अयोध्या दौरे में सरकार पर हमने मंदिर को लेकर दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि नारा दिया था ‘पहले मंदिर फिर सरकार’ लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की प्रचंड जीत से साफ़ हो गया है कि अब मोदी सरकार के कार्यकाल में मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्दे के पीछे इसकी तैयारी चल रही है। तो यह यात्रा कितनी ग़ैर-राजनीतिक है इसका अंदाज़ा राउत के बयान से भी लगाया जा सकता है।
विधानसभा चुनाव को लेकर वैसे भी सीटों के बँटवारे को लेकर दाँवपेच शुरू हो गए हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ मंत्री द्वारा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में 135:135 सीटों का फ़ॉर्मूला ज़ाहिर करना शिवसेना को अपने फ्रेम से बाहर जाता हुआ दिख रहा है। जबकि लोकसभा चुनाव के गठबंधन के समय शिवसेना की तरफ़ से कहा गया था कि वह और बीजेपी 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 140:140 सीटों पर लड़ेंगी तथा 8 सीटें निर्दलीय विधायकों के लिए छोड़ी जायेंगी जो वर्तमान में सरकार का हिस्सा हैं। लेकिन 135:135 के फ़ॉर्मूले से नयी बहस छिड़ गयी है। इस बहस के पीछे जो एक और कारण है- वह है बीजेपी 2014 के चुनाव में अपनी सहयोगी पार्टियों रामदास आठवले की आरपीआई, महादेव जानकर की राष्ट्रीय समाज पक्ष और विनायक मेटे की शिवसंग्राम पार्टी को 10 सीटें देना चाहती है। बीजेपी इन पार्टियों के प्रत्याशियों को अपने चुनाव चिन्ह पर लड़वाती है जिसका परिणाम यह होता है कि वे आधिकारिक तौर पर उन्हीं के विधायक माने जाते हैं। बीजेपी चाहती है कि इसके लिए 5 सीट ख़ुद छोड़ेगी और 5 सीट शिवसेना छोड़े।
हालाँकि सीटों का पेच फँसे होने का असर संजय राउत के बयान पर नहीं दिखा और उन्होंने दोनों पार्टियों की तारीफ़ों के पुल बाँधे।
अयोध्या पहुँचे शिवसेना के राज्यसभा सांसद व पार्टी प्रवक्ता संजय राउत के मंगलवार को दिए बयान को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। उन्होंने शिवसेना प्रमुख व 18 सांसदों के 16 जून को प्रस्तावित दौरे की तैयारी को लेकर पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक एक होटल में की। किसी विवाद की संभावना को दरकिनार करते हुए राउत कहते हैं, ‘पीएम मोदी व शिवसेना की भारी जीत में मंदिर मुद्दे की कोई भूमिका नहीं रही। यह चुनाव मंदिर मुद्दे को अलग रख कर जीता गया है। अब उन्हें पूरा भरोसा है कि अगले लोकसभा चुनाव के पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। अगला चुनाव मंदिर पर आख़िरी चुनाव होगा। मंदिर पर फ़ैसले की घड़ी क़रीब है। यह काम मोदी, योगी के साथ हम मिल कर पूरा करेंगे।’
संजय राउत ने साफ़ शब्दों मे कहा कि जैसे मोदी को प्रचंड बहुमत मिला है यही लोग राम मंदिर के पक्ष में खड़े होंगे, प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर का निर्माण करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि सुप्रीम कोर्ट मंदिर के पक्ष में जल्द फ़ैसला करेगा।
राउत ने पीएम मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ गृह मंत्री अमित शाह की जम कर तारीफ़ की। शिवसेना सांसद ने अमित शाह की तुलना भारत के पूर्व गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल से करते हुए कहा कि धारा 370, राम मंदिर व जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार काम कर रही है। गृह मंत्री इन मुद्दों का हल निकालने के लिए सक्रिय हैं। उधर सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जब संजय राउत सोमवार को उनसे मिले तो 16 जून को अयोध्या राम लला का दर्शन करने आने वाले शिव सेना के सांसदों को राज्य अतिथि का दर्जा दे दिया।
शिवसेना के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता संतोष दुबे ने बताया कि मंगलवार को शिवसेना के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में सांसद संजय राउत ने 16 जून के कार्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया। शिवसेना के 18 सांसद 15 जून को लखनऊ पहुँचेंगे जहाँ उनका अभिनंदन किया जाएगा। इसके बाद 16 जून को लखनऊ से अयोध्या तक जगह जगह स्वागत होगा। सांसदों को राम जन्म भूमि हनुमानगढी व अन्य प्रमुख मंदिरों में दर्शन करवाया जाएगा। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे हवाई जहाज़ से सीधे अयोध्या पहुँचेंगे। शिव सेना के प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह के मुताबिक़ मंगलवार की अयोध्या बैठक में शिवसेना के प्रदेश महासचिव हितेंद्र सिंह, बिट्टू परमार, संतोष दुबे, प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह के अलावा रतन पांडे व संत राम यादव आदि शामिल हुए।
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