राम मंदिर के मुद्दे पर शिवसेना के सुर लोकसभा चुनाव के बाद बदल गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में नारा दिया था- 'पहले मंदिर फिर सरकार', लेकिन उसी शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने अब अयोध्या पहुँचकर कहा है कि राम मंदिर का काम मोदी, योगी के साथ हम मिल कर पूरा करेंगे। तो शिवसेना का रूख़ अब नरम क्यों पड़ा? और यदि दोनों दलों- बीजेपी और शिवसेना के बीच आपसी सहमति ही है तो फिर शिवसेना के सभी सांसदों को अयोध्या क्यों लाया जा रहा है? कहीं यह महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दबाव की राजनीति तो नहीं है? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों दलों के बीच सीट के बँटवारे पर स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है और बताया जा रहा है कि इस पर पेच फँसा है।