2021 के बंगाल चुनाव के बाद जिस नारद स्टिंग मामले में ममता सरकार के मंत्रियों को आज गिरफ़्तार किया गया है वह मामला 2016 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया था। कहा जाता है कि इस स्टिंग को 2014 में ही तैयार किया गया था। यानी जो स्टिंग ऑपरेशन क़रीब 7 साल पहले किया गया था वह अभी भी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के लिए मुसीबत कैसे बना हुआ है? आख़िर यह नारद स्टिंग ऑपरेशन क्या था और इसमें इतना बड़ा क्या मामला हुआ था?
जानिए, नारद स्टिंग ऑपरेशन क्या है, सीबीआई के निशाने पर कौन
- पश्चिम बंगाल
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- 17 May, 2021
2021 के बंगाल चुनाव के बाद जिस नारद स्टिंग मामले में ममता सरकार के मंत्रियों को आज गिरफ़्तार किया गया है वह मामला 2016 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया था। जानिए, क्या है नारद स्टिंग ऑपरेशन।

सबसे पहले यह नारद स्टिंग ऑपरेशन नाम 2016 के मार्च महीने में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले सामने आया था। इस स्टिंग के टेप नारद न्यूज़ की वेबसाइट पर जारी किए गये थे। इस वेबसाइट को मैथ्यू सैमुएल ने बनाया था। मैथ्यू सैमुएल पहले तहलका नाम की पत्रिका में कार्यरत थे और वह संस्था के मैनेजिंग एडिटर थे। बाद में उन्होंने तहलका से इस्तीफ़ा दे दिया था। कहा जाता है कि इस स्टिंग को 2014 में अंजाम दिया गया था, लेकिन तब इसे जारी नहीं किया जा सका था। तब एक रिपोर्ट के अनुसार मैथ्यू सैमुएल ने क़रीब 52 घंटे का फुटेज बनाया था। इस फुटेज में तत्कालीन सरकार के कई मंत्रियों के होने का दावा किया गया था।