पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने बीते दिनों ही सीबीआई को इसकी इजाज़त दी थी कि वह हक़ीम और कुछ दूसरे विधायकों के ख़िलाफ़ नारद घूस कांड में कार्रवाई करे और मुकदमे दर्ज करे।
इसके साथ ही यह सवाल उठता है कि किसी विधायक के ख़िलाफ़ इस तरह की जाँच की अनुमति देना विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है या राज्यपाल के?
क्या कहना है सिंघवी का?
वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सीबीआई की नीयत में खोट है। उन्होंने कोलकाता से छपने वाले अंग्रेजी अख़बार 'द टेलीग्राफ़' से कहा, 'गिरफ़्तार करने का अधिकार रहने का अर्थ यह नहीं है कि गिरफ़्तार कर ही लिया जाए, उसकी ज़रूरत होनी चाहिए। इस मामले में गिरफ़्तारी की कोई ज़रूरत नहीं थी। यह मामला 2016 का है, सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में अभी किसी को गिरफ्तार करने की क्या ज़रूत है?'
इस वरिष्ठ वकील ने ट्वीट कर कहा कि विधानसभा स्पीकर की अनुमति के बग़ैर इन विधायकों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है। यह अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है।
3/3As MLA’s, #WB arrestees cannot be proceeded against wo #Speaker’s sanction. Hence lack of jurisdiction plus vindictive arrests plus timing of arrests, all smack of, steeped in & clearly proves cheapest &most vile vendetta!
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) May 17, 2021
क्या है नारद घूस कांड?
साल 2014 में एक पत्रकार ने एक स्टिंगऑपरेशन किया, जिसमें वह कुछ राजनेताओं और एक पुलिस अफ़सर से यह कहता है कि वह एक उद्योगपति है, पश्चिम बंगाल में निवेश करना चाहता है और उसे इसके लिए मदद चाहिए।
खुद को उद्योगपति कहने वाला वह पत्रकार नोटों की गड्डियाँ उन्हें सौंपता है और सबकुछ कैमरे में क़ैद कर लिया जाता है। उसने ऐसा सात सांसदों, एक विधायक, चार मंत्रियों और एक वरिष्ठ पुलिस अफ़सर के साथ किया।
इस स्टिंग ऑपरेशन को बांग्ला टेलीविज़न चैनलों पर दिखाए जाने के बाद बावेला मचा।
घर की घेराबंदी
बांग्ला अख़बार 'आनंद बाज़ार पत्रिका' के अनुसार, सोमवार की सुबह सीबीआई ने कोलकाता के चेतला स्थित फ़िरहाद हक़ीम के घर को चारों ओर से घेर लिया। उसके बाद उन्हें महानगर स्थित निज़ाम पैलेस लाया गया। निजाम पैलेस परिसर में केंद्र सरकार के कई दफ़्तर हैं।
क्या कहा हक़ीम ने?
फ़िरहाद हक़ीम ने कहा कि उन्हें सीबीआई ने गिरफ़्तारी का नोटिस नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि स्पीकर की अनुमति के बग़ैर ही उन्हें गिरफ़्तार किया गया है। वह इस मामले को अदालत में उठाएंगे।
समझा जाता है कि सोमवार को ही सीबीआई अदालत में चारों विधायकों के ख़िलाफ़ चार्ज शीट दाखिल कर देगी।
इसके साथ ही सवाल यह उठता है कि जो लोग इस कांड के समय तृणमूल कांग्रेस में थे, लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गए, उनके ख़िलाफ़ सीबीआई ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है।
नारद घोटाला मामले में टीएमसी के जिन सात सांसदों का नाम सामने आया था, उनमें मुकुल राय राज्यसभा से थे। मुकुल रॉय बाद में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे और हाल ही में विधायक चुने गए हैं।
कभी ममता के साथ रहे और अब बीजेपी में आ चुके शुभेंदु अधिकारी भी इस मामले में अभियुक्त हैं। अधिकारी ने हालिया चुनावों में ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट से हराया है।
बीजेपी ने शुभेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुना है, यानी वे विधायक हैं और बने रहेंगे। सवाल यह भी उठता है कि क्या सीबीआई राज्यपाल से उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की इजाज़त मांगेगा और क्या राज्यपाल यह अनुमति देंगे।
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