सीबीआई ने सोमवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी। इसने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ सामूहिक बलात्कार की संभावना को खारिज कर दिया है। एजेंसी ने कहा है कि नशे की हालत में उसने दुष्कर्म किया और फिर उनकी हत्या कर दी। कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, स्थानीय पुलिस के साथ सिविल वॉलिंटियर के रूप में काम कर रहे संजय रॉय ने 9 अगस्त को अपराध को अंजाम दिया। घटना उस समय हुई जब पीड़िता छुट्टी के दौरान अस्पताल के सेमिनार रूम में आराम कर रही थी।
इस घटना से व्यापक आक्रोश फैल गया था और पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने लंबी हड़ताल की थी। अस्पताल की पुलिस चौकी से जुड़े सिविल वॉलिंटियर आरोपी संजय रॉय को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। बलात्कार-हत्या के 58 दिन बाद सोमवार को सीबीआई ने मामले में पहला आरोपपत्र दाखिल किया।
आरोप पत्र 45-पृष्ठ का है जिसे सियालदह में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में जमा किया गया है। मीडिया रिपोर्टों में सीबीआई सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आरोप पत्र में करीब 200 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। इसमें संजय रॉय को मुख्य आरोपी बताया गया है। उन्होंने कहा कि अभी भी इस बात की जांच चल रही है कि क्या इसमें कई संदिग्ध थे और क्या यह सामूहिक बलात्कार का मामला था।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सीबीआई के एक सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है, 'संजय रॉय पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया है। इसमें सामूहिक बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं है। संजय रॉय ही एकमात्र आरोपी है जिसने अपराध किया है। हालांकि, जांच अभी भी जारी है। अपराध के समय वह नशे की हालत में था। इसका उल्लेख आरोपपत्र में किया गया है।' सूत्रों के अनुसार, आरोपपत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि अब तक की जांच से पता चला है कि संजय रॉय ही बलात्कार और हत्या में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोपी है।
चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया गया कि रॉय ने पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की। सूत्रों के अनुसार, पीड़िता के नाखूनों से मिले खून और टिश्यू भी रॉय के डीएनए से मेल खाते हैं।
इसी मामले में 14 सितंबर को सीबीआई ने आर जी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और तलाल पुलिस स्टेशन के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को सबूतों से छेड़छाड़ करने और घटना को दबाने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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