नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सात साल से देश में सरकार चला रही है, विकास के तमाम दावे, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा उसके नेता आए दिन करते हैं। इसके बाद भी जिस राज्य में चुनाव हो, वहां के स्थानीय मुद्दों पर बात करने के बजाय बात होगी पाकिस्तान पर, श्मशान-कब्रिस्तान पर, अली बनाम बजंरग बली पर और हिंदू-मुसलमान पर। बीजेपी पर आरोप लगता है कि वह ऐसे मुद्दे चुनती है जिससे वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता हो।
नित्यानंद राय का बयान
कुछ दिन पहले एक जनसभा के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार में अगर आरजेडी की सरकार बनी तो कश्मीर के आतंकी यहां आकर पनाह ले लेंगे, उसके बाद पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का मुद्दा लाया गया और अब एक दूसरे राज्य बंगाल में, जहां बीजेपी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है, वहां भी एक ऐसा मुद्दा छेड़ दिया गया है जिससे ध्रुवीकरण हो सकता हो। बीजेपी ने बंगाल में सीएए यानी नागरिकता संशोधन क़ानून को जल्द लागू करने की बात कही है।
शाहीन बाग़ का आंदोलन
सीएए को लेकर देश में पिछले साल खासा बवाल हो चुका है। दिल्ली के शाहीन बाग़ में चले आंदोलन की तर्ज पर देश के कई शहरों में मुसलिम समाज की महिलाओं ने इस क़ानून के विरोध में शांतिपूर्ण धरना दिया और उन्हें कुछ राजनीतिक-सामाजिक संगठनों का भी सहयोग मिला। देश में इसके ख़िलाफ़ जबरदस्त आंदोलन भी हुए लेकिन मोदी सरकार को हिला देने वाली हुंकार किसी ने भरी तो वो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थीं।
सीएए आंदोलन को बदनाम करने की पुरजोर कोशिशें बीजेपी के नेताओं की ओर से की गईं। शाहीन बाग को तौहीन बाग से लेकर हिंदुस्तान विरोधी, पाकिस्तान परस्त और भी बहुत कुछ कहा गया। यह सब दिल्ली चुनाव को जीतने के लिए किया गया लेकिन लोगों ने इस तरह की राजनीति को नकार दिया। अब बारी बंगाल की है।
सीएए, एनआरसी बनेंगे हथियार
पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं, इस लिहाज से मुश्किल से 8 महीने का वक़्त और बचा है। बीजेपी कोरोना काल में भी लगातार बंगाल में सक्रिय है और वहां अपनी सरकार देखना चाहती है। इसके लिए उसे सीएए, नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) से अच्छा कोई हथियार शायद नज़र नहीं आता। वरना वह मोदी सरकार के कामकाज को भी गिनाकर वोट मांग सकती है लेकिन ऐसा नहीं लगता।
ममता बनर्जी दमदार आवाज़ में कह चुकी हैं कि वह अपने राज्य में सीएए, एनआरसी को किसी भी क़ीमत पर लागू नहीं होने देंगी।
ताज़ा घटनाक्रम यह है कि पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को सिलिगुड़ी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘सीएए तो पास हो गया है। आपको सीएए मिलेगा और मिलना तय है। अभी नियम बन रहे हैं, कोरोना की वजह से इसमें रुकावट हो गयी और बहुत जल्द आपको इसकी सेवा मिलेगी और इसे हम पूरा करेंगे।’
यह बात बीजेपी की बंगाल इकाई के किसी नेता ने नहीं कही है, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कही है। इसका मतलब साफ है कि पार्टी इसे बंगाल में मुद्दा बनाएगी। इससे पहले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बंगाल में अपनी कई रैलियों में सीएए और एनआरसी का खुलकर जिक्र कर चुके हैं।
बंगाल में हिंदू वोटों के जबरदस्त ध्रुवीकरण की कोशिश में जुटी बीजेपी को तब बड़ी सफलता मिली थी, जब उसने लोकसभा चुनाव 2019 में 2014 की 2 सीटों के मुक़ाबले 18 सीटें जीती थीं। इसके बाद सीएए और एनआरसी के मुद्दे को लेकर उसने बंगाल को गर्माए रखा।
नड्डा के इस बयान पर टीएमसी की प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी के ख़िलाफ़ काफी मुखर रहने वालीं पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर कहा है कि बीजेपी को अपने कागज दिखाने से पहले, हम उसे बाहर का रास्ता दिखाएंगे।
राजनीतिक हिंसा
बंगाल में हो रही राजनीतिक हत्याएं इस बात का सबूत हैं कि आने वाले दिनों में माहौल और ख़राब हो सकता है। टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में ये खूनी झड़पें 2014 के बाद से ही जारी हैं और विधानसभा से लेकर लोकसभा और पंचायतों के चुनाव में जमकर हिंसा हो चुकी है।
नड्डा के इस एलान के बाद कि सीएए को जल्द लागू किया जाएगा, आगे यह तय माना जाए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी रैलियों में इसका जिक्र अवश्य करेंगे। कुल मिलाकर बीजेपी को पूरी उम्मीद सिर्फ़ हिंदू मतों के ध्रुवीकरण से है, देखना होगा कि ममता बनर्जी उसकी इस सियासी चाल को कामयाब होने देती हैं या नहीं।
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