पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 जैसे-जैसे नज़दीक आता जा रहा है, बंगाली अस्मिता के सबसे बड़े प्रतीकों में एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपनाने की बीजेपी की कोशिशें तेज़ होती जा रही हैं। उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी की यह कोशिश इस सच्चाई के बावजूद जारी है कि नेताजी के सिद्धान्त और मूल्य न तो बीजेपी के एकात्म मानवतावाद से मेल खाते हैं न ही मुसलिम-विरोध पर टिकी उसकी नीतियों से। कड़वी सच्चाई तो यह है कि जिस समय नेताजी अंग्रेजों से लोहा लेने की तैयारी कर रहे थे, आरएसएस के प्रेरणा पुरुष सावरकर अंग्रेजों की मदद करने के लिए हिन्दुओं की पलटन तैयार करने में लगे हुए थे।
नेताजी के प्रति क्यों उमड़ रहा बीजेपी का प्रेम?
- पश्चिम बंगाल
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- 29 Mar, 2025

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले नेताजी जन्मदिन को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का एलान कर बीजेपी ने उन्हें अपनाने और उनकी विरासत पर कब्जा करने की कोशिश की है। पर सवाल यह है कि क्या नेताजी के सिद्धांत बीजेपी के उग्र हिन्दुत्व में कहीं फिट बैठते हैं? सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कृत्यों के लिए बंगाल और देश से माफ़ी माँगेगी?
बीजेपी के पास आइकॉन नहीं
लेकिन बीजेपी के पास बंगाल में आम जनता में स्वीकार करने लायक अपना कोई आईकॉन नहीं है, लिहाज़ा वह दूसरी पार्टियों के महापुरुषों को अपनाने की कोशिश में है, भले ही उनमें कहीं कोई साम्य हो या न हो।