पश्चिम बंगाल के चुनाव के एलान से पहले हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी से उनकी चुनावी रणनीति के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने मजरूह सुल्तानपुरी का शेर पढ़ा था - “मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए कारवां बनता गया।” लेकिन हुआ इसका उल्टा और चुनाव का एलान होते-होते ओवैसी कारवां तो क्या बनाते, ख़ुद ही अकेले पड़ गए।