‘तोड़ दिया।’, हमारे मित्र के दो शब्द। इलाहाबाद में मोहम्मद जावेद अहमद का घर तोड़ दिया गया। लेकिन यह तथ्य नहीं है। जो तोड़ा गया, वह जावेद साहब का घर नहीं था। वह परवीन फातिमा का घर था। उनकी पत्नी का। उसमें वे रहते थे, उनकी बेटियाँ आफ़रीन और सुमैया भी रहती थीं।
मुसलमान को तोड़ने और धूल में मिलाने की कोशिश है लेकिन वह न टूटेगा, न मिटेगा
- वक़्त-बेवक़्त
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- 13 Jun, 2022

सच यह है और उसके लिए किसी विश्लेषण की जरूरत नहीं कि मोहम्मद जावेद अपनी पत्नी के जिस घर में रहते थे, वह सिर्फ इलाहाबाद के नहीं, पूरे देश के मुसलमानों को चेतावनी देने के लिए तोड़ा गया है। अगर हम शहर की एक प्रतिष्ठित शख्सियत के साथ यह कर सकते हैं तो बाकी की क्या बिसात!
मकान की मिल्कियत उनकी न थी। लेकिन प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने नोटिस जावेद साहब के नाम जारी किया। यह बताना फिजूल है कि नोटिस रात को जारी किया गया और उसमें फर्जी तौर पर पिछली तारीखों का जिक्र किया गया जब जावेद साहब को उसकी कानूनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए और उसके अभाव में उसे ध्वस्त करने की चेतावनी दी गई थी।
एक ऐसे मकान को बुलडोज़र और जेसीबी मशीन से तोड़ा डाला गया जिसका हर तरह का टैक्स लगातार भरा जा रहा था। वह जो उस जमीन पर बना था जो परवीन फातिमा की पैतृक संपत्ति थी।