वे कौन हैं और हम कौन? यह बहस दूसरी कक्षा की अंग्रेज़ी की एक किताब के बहाने ट्विटर पर शुरू हुई। यह दूसरी कक्षा की अंग्रेज़ी की एक किताब है जिसमें त्योहारों के बारे में छात्रों को जानकारी दी जा रही है। सबसे पहले पूछा गया है कि गुरबानी और कड़ाह परसाद क्या हैं। इनके बारे में मालूम करने को कहा गया है। फिर आगे तीन त्योहारों के बारे में संक्षेप में सूचना दी गई है। सबसे पहले ईद उल फ़ित्र के विषय में बतलाया गया। यही कि रमज़ान पवित्र माह है जिसमें मुसलमान उपवास रखते हैं। रमज़ान के बाद ईद मनाई जाती है। इस रोज़ लोग एक दूसरे से गले मिल ईद मुबारक कहते हैं। वे मस्जिद में नमाज़ पढ़ते हैं और एक मिष्टान्न खाते हैं जिसे सेवई कहते हैं।
किताब में ‘वे’ यानी अल्पसंख्यक और ‘हम’ मतलब बहुसंख्यक?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 27 Sep, 2021

एनसीईआरटी द्वारा मंजूर की गई कक्षा दो की एक किताब को लेकर विवाद क्यों हुआ? किताब में यह लिखना क्या आपत्तिजनक है कि 'रमज़ान पवित्र माह है जिसमें मुसलमान उपवास रखते हैं' और 'गणेश चतुर्थी में हम भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाते हैं'? मुसलिमों के लिए मुसलिम और हिंदुओं के लिए हम का इस्तेमाल क्यों?
फिर होली और गणेश चतुर्थी के बारे में ऐसे ही छोटे-छोटे अंश हैं। होली रंगों का त्यौहार है। यह सर्दियों के समाप्त होने और गर्मी की शुरुआत की सूचना देता है। लोग होली की पूर्व संध्या को मिल कर अलाव जलाते हैं। अगले दिन वे एक दूसरे पर रंग डालते हैं और गुलाल लगाते हैं। घरों में गुझिया बनाई जाती है जिसे सब मज़े लेकर खाते हैं। गणेश चतुर्थी में हम भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाते हैं। लोग गणेश की प्रतिमाएँ घर लाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। मोदक बनाया जाता है और गणेश भगवान को चढ़ाया जाता है। अंत में मूर्तियाँ किसी जलाशय में विसर्जित की जाती हैं।