आशुतोष ने आम आदमी पार्टी के बदल जाने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया है। जिस शरद पवार का नाम भ्रष्ट राजनेताओं की सूची में आम आदमी पार्टी के जनक आंदोलन ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ ने काफ़ी ऊपर रखा था, उनके साथ मंच साझा करने को आज पार्टी बाध्य है। उसी तरह परम भ्रष्ट घोषित कर दिए गए लालू यादव से हाथ मिलाने में आम आदमी पार्टी को गुरेज़ नहीं है। इसमें वह रॉबर्ट वाड्रा का नाम भी जोड़ सकते थे। आज अरविंद केजरीवाल उसी कांग्रेस के साथ दिल्ली और बाहर भी गठजोड़ को तैयार हैं, जिसके संहार के लिए ऐसा लगता था, उन्होंने अवतार लिया है। आशुतोष का कहना है कि आम आदमी पार्टी के अस्तित्व का तर्क था- भ्रष्टाचार विरोध। आज अगर भ्रष्टाचार उसके लिए मुद्दा ही नहीं रह गया तो क्या यह न मान लिया जाए कि उसका वजूद ही बदल गया है। नाम तो वही है लेकिन पार्टी अब वह नहीं है।