कोलकाता यात्रा के दौरान इतिहासकार रोमिला थापर से भारत में और भारत के बारे में इतिहास लेखन पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने कहा कि समय आ रहा है जब भारत के बारे में दो तरह का इतिहास होगा। एक वह जो भारत के लोगों द्वारा, भारत की शिक्षा संस्थाओं में लिखा और पढ़ा जाएगा और दूसरा वह जो भारत के बाहर के शिक्षा संस्थानों में भारत के विशेषज्ञों द्वारा लिखा और पढ़ा जाएगा। इन दोनों के बीच में कोई मेल न होगा। उदाहरण के लिए भारत में लिखे इतिहास में भारत की संस्कृति 12 हज़ार साल पुरानी बतलाई जाएगी और भारत के बाहर इसे लेकर कोई तयशुदा राय शायद न हो।उसी तरह भारत के भीतर के इतिहासकार हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को विजयी बतलाएँगे और बाहर लिखे गए इतिहास में इसे आज के सत्ताधारियों की कल्पना के तौर पर दर्ज किया जाएगा।
भारत में जब दो तरह का इतिहास होगा
- वक़्त-बेवक़्त
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- 12 Jun, 2023

भारत में जिस गति से इतिहास को बदला जा रहा है, उससे जल्द ही हमारे बीच दो तरह का इतिहास होगा। जिस तरह से राष्ट्रवादी अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ाते हैं और गरीब हिंदुओं से हिन्दी माध्यम से पढ़ने को कहते हैं, वैसा कुछ इतिहास में भी होगा। राष्ट्रवादियों के बच्चों का इतिहास बोध विदेश में छपी किताबों पर आधारित होगा और भारत के गरीब हिन्दू बच्चे पीएन ओक और जदुनाथ सरकार का लिखा इतिहास पढ़कर अपना नजरिए बनाएंगे। स्तंभकार अपूर्वानंद की विचारोत्तेजक टिप्पणीः