मनुष्य देवताओं को अपनी शक्ल में गढ़ता है। इसीलिए जैसे हम हैं, हमारे देवता भी वैसे ही दीखते हैं। अगर मनुष्य की शक्ल घोड़े की तरह होती तो उसके देवताओं की सूरत भी वैसी होतीं।
'आदिपुरुष' में हिन्दुत्ववादी अपना चेहरा क्यों नहीं देखते
- वक़्त-बेवक़्त
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- 19 Jun, 2023

आदिपुरुष फिल्म पर गंभीर चर्चा की जरूरत है। स्तंभकार अपूर्वानंद लिख रहे हैं कि इस फिल्म के चेहरों को हिन्दुत्व के पैरोकारों ने गढ़ा है। इसलिए हिन्दुत्ववादी इस फिल्म के बहाने अपना चेहरा क्यों नहीं देखते। पढ़िए आदिपुरुष पर उनकी विचारोत्तेजक टिप्पणीः