आनंद तेलतुमडे फिर से आज़ाद हैं। पुणे की अदालत ने उन्हें पुलिस की गिरफ़्त से इसलिए आज़ाद किया कि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें चार हफ़्ते की मोहलत दी थी कि वह उपयुक्त अदालतों में अपनी ज़मानत की अर्ज़ी दे सकें। उन्होंने पुणे की अदालत में ज़मानत का आवेदन किया जो नामंज़ूर कर दिया गया। लेकिन क़ानूनन उनके पास उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय तक जाने का हक़ है। इस बीच ही उन्हें रात के तीन बजे हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार करने की जो जल्दबाज़ी पुलिस ने दिखाई, उसके मायने समझना हम सबके लिए ज़रूरी है। वह यह है कि हम ऐसे वक़्त में हैं जिसमें राज्य की सारी एजेंसियाँ नागरिक को उसके अधिकारों से ही वंचित करने के लिए नहीं बल्कि उनका उपयोग करने के मौक़े भी उनसे छीन लेने को आमादा है।