आख़िरकार जॉर्ज फ़र्नांडिस विदा हुए। कुछ वर्षों से वे थे भी और नहीं भी थे। एक व्यक्ति जिसका नाम डाइनामाइट केस से जुड़ा हो और जिस वजह से ही वह धमाकेदार माना जाता हो, उसके आख़िरी वर्ष इस तरह असहाय अवस्था में गुज़रें, इससे बढ़कर अफ़सोस की बात कुछ और हो नहीं सकती। तो, एक तरह से यह उनकी मुक्ति है।