बीते शनिवार को मेरठ के रौली चौहान नामक गाँव के पास बिजली के तार से डी जे ट्रक के सट जाने से 5 काँवड़ियों की मौत हो गई। उनमें एक 8 साल का बच्चा भी था। और 2 हस्पताल में हैं। इसके पहले दिल्ली से बाहर सड़क दुर्घटना में 5 काँवड़ियों की मौत हो गई थी। इस तरह की खबर पिछले सालों में भी मिलती रही है। ख़ासकर डी जे ट्रक के कारण होनेवाली दुर्घटनाओं की। शहरों में तो इन ट्रकों की रफ़्तार कम रहती है या वे ख़ुद जानबूझ कर बहुत धीरे चलते हैं ताकि भक्ति का प्रसाद शहर के उन लोगों को भी मिल सके जो इस काँवड़ यात्रा में शामिल नहीं हैं। लेकिन राजमार्गों पर दूसरी गाड़ियों से टक्कर की आशंका बनी रहती है। जो लोग काँवड़ियों से क्षुब्ध रहते हैं, उन्हें यह अहसास होना चाहिए कि यह यात्रा ख़तरे से ख़ाली नहीं और हर साल कुछ शिवभक्त रास्ते में ही शहीद हो जाते हैं।
राज्याश्रय से धर्म में क्या विकृति आती है!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 17 Jul, 2023

मेरे बचपन में जो बिना तिरंगे के मात्र गंगाजल लेकर शिव के पास जाते थे, क्या वे कम भारतप्रेमी थे? लेकिन उन्हें पता था कि यह अवसर उनके और बाबा एक बीच का है, इसमें राष्ट्र का हस्तक्षेप क्योंकर हो? भोलाबाबा क्या सिर्फ़ तिरंगा लेकर आनेवालों का जल स्वीकार करेंगे?
तलाश करने पर भी मुझे पैदल चलनेवाले काँवड़ियों में किसी की मौत की ख़बर नहीं मिली। बिहार का होने की वजह से मुझे सुल्तानगंज से देवघर जल लेकर बाबा भोलेनाथ का अभिषेक करनेवालों के कष्ट का तो अन्दाज़ रहा है। उनके तलवों में छाले पड़ जाते थे या वे रास्ते से कंकड़ पत्थर से लहूलुहान भी हो जाते थे लेकिन किसी की मौत उसके कारण नहीं हुई। यह होना शुरू हुआ जब पाँव का सहारा छोड़कर ट्रक, टेम्पो, मोटरसाइकिल आदि को पैदल काँवड़ यात्रियों के साथ शामिल कर लिया गया।