आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली में जीत के बाद भारत में नई किस्म की राजनीति पर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। इस बहस से 9 साल पहले की चर्चा की याद आ जाती है। तब 'आप' का उदय हुआ ही था। जातियों और धर्मों से परे जिसकी अपील हो, जो स्वच्छ राजनीति में यकीन करती हो, यानी जहाँ पैसे का लेन-देन नहीं है और जो पार्टी “आला कमान” किस्म की नेतृत्व प्रणाली से अलग विकेन्द्रित जनतांत्रिक तरीके से अपने निर्णय करती हो, ऐसी एक पार्टी की संभावना से ख़ास तरह की सनसनी राजनीतिक हवा में फैल गई थी। कहा गया कि यह ऐसी पार्टी होगी जिसमें बुद्धिजीवी भी अपनी भूमिका निभा पाएँगे और अलग-अलग किस्म के पेशेवर (प्रोफ़ेशनल) लोग भी।