जॉर्जटाउन इंस्टिट्यूट फॉर पीस, वीमेन एंड सिक्योरिटी द्वारा जारी किये जाने वाले 'शांति, महिला व सुरक्षा सूचकांक में भारत को 170 देशों में 148वाँ स्थान मिला है। ऐसा ही कुछ हाल विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी किये जाने वाले वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2021 में भी था, जहाँ भारत को 156 देशों में 140वां स्थान प्राप्त हुआ था। वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2021 में भारत 2020 के मुक़ाबले एक साल में ही 28 स्थान नीचे खिसक गया था। लेकिन इन दिनों भारत में मनमाफिक न आए सूचकांकों को नकारने का चलन न सिर्फ सरकार के स्तर पर चलाया जा रहा है बल्कि नकारने के इस जुनून में भारत के तमाम नए पुराने सेफोलॉजिस्ट भी शामिल हो चुके हैं।
बलात्कार की ख़बर समाज को झकझोरती क्यों नहीं?
- विमर्श
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- 8 May, 2022

क़ानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने के दावे कर रही सरकारें दुष्कर्म के अपराध क्यों नहीं रोक पा रही हैं? क्या दुष्कर्मियों को सज़ा मिल रही है? यदि सबकुछ ठीक है तो महिला सुरक्षा के मामले में देश फिसड्डी क्यों है?
‘डेली ट्रैकर’ के नाम पर भारत को समझने का दावा करने वाले आंकड़ा विज्ञानियों की इस फौज ने हाल ही में आए प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, 2022 में भारत के 150वें स्थान को मानने से इनकार कर दिया था। हर दिन भारत में मीडिया को मरते देखने के बावजूद इस फौज का विवेक किसी ट्रैकर के भरोसे ही काम करता दिख रहा है।