लेजेंडरी लेखक मॉरिसन और बॉयड अपनी पुस्तक ‘ऑर्गेनिक केमिस्ट्री’ में लिखते हैं कि “नो वन कैन चैलेंज द पोजीशन ऑफ प्रोटीन इन द बॉडी”। अर्थात शरीर में प्रोटीन की स्थिति सबसे महत्वपूर्ण है। अन्य सभी अवयवों की उपयोगिता के बावजूद शारीरिक अस्तित्व का दारोमदार प्रोटीन पर है। क्या आपने कभी सोचा है कि संसदीय लोकतंत्र में प्रोटीन जैसी स्थिति वाला ऐसा कौन सा अवयव है जिसके चारों ओर संसदीय लोकतंत्र घूमता है? ऐसा एक कौन है जिसके ऊपर संसदीय लोकतंत्र टिका है? ऐसा कौन है जो अपनी नैतिकता से लोकतंत्र की विभिन्न संस्थाओं को आच्छादित किए रहता है और जिसकी अपनी ज़िम्मेदारी से विमुख होने पर लोकतंत्र वैसे ही भरभरा कर गिर जाएगा जैसे बिना प्रोटीन के शरीर गिर जाता है?