जब सर्वोच्च न्यायालय की न्यायधीश जस्टिस हिमा कोहली ने सरकार को निशाने पर लेकर कहा कि “केंद्र को अब अपने आपको ऐक्टिवेट करना चाहिए”। तब इस टिप्पणी से आपको क्या लगा? मुझे तो इस टिप्पणी से लग रहा है, मानो केंद्र सरकार वर्षों से जंग लगी और धूल से ढकी एक मशीन बन गई है जिसे कहा जा रहा है कि अब इसे चालू करने का समय आ गया है। पर इस केन्द्रीय मशीनरी के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तो चुनावों में व्यस्त हैं। वो तो इस बात से चिंतित हैं कि उन्हे बहुत गालियां दी गई हैं, उन्हे बहुत भला बुरा कहा गया है, उन्हे डराने की कोशिश की गई है आदि आदि। उन्हे इस बात की भी फिक्र है कि काँग्रेस का घोषणापत्र ‘मुस्लिम लीग की छाप’ लिए हुए है और यह भी कि भारतीय महिलाओं के ‘मंगलसूत्र’ को काँग्रेस बेच देने वाली है। कुल मिलाकर अर्थ यह है कि पीएम मोदी के दिमाग में जो भी आ रहा है वे बस उसे बोलने के लिए बोले जा रहे हैं। लेकिन जहां बात ‘जिम्मेदारी’ की आती है, नागरिकों के प्रति उनके कर्त्तव्य की आती है, महिलाओं की सुरक्षा की बात आती है, देश के नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की बात आती है, प्रधानमंत्री एक अंतहीन खामोशी और निद्रा में चले जाते हैं।
देश के स्वास्थ्य के लिए किसी गारंटी की नहीं, ‘सही का चुनाव’ करें
- विमर्श
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- 28 Apr, 2024

मोदी को सिर्फ मोदी जी ही दिख रहे हैं, जो हर चुनावी रैली में सिर्फ मोदी जी की ही तारीफ करते हैं और बिना मांगे ‘मोदी की गारंटी’ बांटते घूम रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि जनता के स्वास्थ्य की गारंटी कौन देगा? स्तंभकार वंदिता मिश्रा मोदी की गारंटी की गहराई में उतरकर आपको कुछ बताना चाहती हैं। पढ़िएः