भारतीय सभ्यता को 5 हज़ार वर्ष बीत चुके हैं और यह दुनिया की सबसे प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक है। इस प्राचीनता पर हमें गर्व भी है। पर हमेशा अपने अतीत पर गर्व करने के लिए आवश्यक ऊर्जा कायम रख सकें, इसके लिए ज़रूरी है कि वर्तमान बेहतर रहे, जो कि निश्चित रूप से आज संकट में है चाहे कोई स्वीकार करे या न करे।
जिन्हें हिंद पर नाज है वो कहाँ हैं?
- विमर्श
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- 28 Nov, 2021

आज़ादी के बाद से भारत कितना बदला? क्या ग़रीबी दूर हुई? क्या असमानता मिटी? ‘वैश्विक भूख सूचकांक’ 2021 में भारत 101वें स्थान पर क्यों है? और दूसरे सूचकांक भी क्या दर्शाते हैं?
जब तक देश में अंग्रेजों का शासन था, यह लगता रहा कि दुर्गति के कारण सिर्फ़ ये अंग्रेज हैं, एक दिन आया जब अंग्रेजों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने खदेड़ के बाहर कर दिया और आशा बंधी कि अब हम विकास और उन्नति के पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे। परंतु राजनैतिक स्वतंत्रता हमेशा सामाजिक उन्नति नहीं लाती उसके लिए ज़रूरी तत्व था आर्थिक सुधार, सही शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता। स्वतंत्रता के उपरांत गुलाम भारत के बाद की स्थिति की तकलीफ महान कवि बाबा नागार्जुन को अंदर तक कचोट गयी और (सन् 1952) में उन्होंने लिखा-
“कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदासकई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पासकई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्तकई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त”।