रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नाम की वैश्विक संस्था द्वारा प्रतिवर्ष किये जाने वाले सर्वेक्षण में दुनिया भर के देशों को वहाँ उपलब्ध ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ के आधार पर रैंकिंग दी जाती है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत की स्थिति इस सूचकांक/सर्वेक्षण में बहुत ही गंभीर अवस्था में है। यदि पिछले 4 सालों की ही रैंकिंग पर नज़र डालें तो यह एहसास हो जायेगा कि भारत में ‘मीडिया’ के साथ क्या किया जा रहा है। 2019 में भारत इस सूचकांक में 140वें, 2020 और 2021 में 142वें, 2022 में 150वें और 2023 में गिरकर 161वें स्थान पर पहुँच चुका है।
राष्ट्र के लिए ख़तरा नहीं है ‘स्वतंत्र मीडिया’
- विमर्श
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- 8 Oct, 2023

आज़ाद मीडिया पर जिस तरह कार्रवाई की जा रही है, क्या वह देश के लिए ख़तरा है? क्या यह किसी राष्ट्र को किसी बड़े खतरे में पड़ने से रोकने वाली एक अहम कड़ी नहीं होती है?
यह सबकुछ तब है जब भारत में ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में कहा गया है कि, "सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा"। सर्वोच्च न्यायालय ने इसी अनुच्छेद की व्याख्या करते हुए इसे ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ से जोड़ा। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत का संविधान प्रेस की स्वतंत्रता को मूल अधिकारों की श्रेणी में स्वीकार कर चुका है।