शुक्रवार, 14 जुलाई को चंद्रयान-3 ने ‘इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन’ अर्थात इसरो के नेतृत्व में शक्तिशाली रॉकेट ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-III’(LVM-III) से सफलतापूर्वक उड़ान भरी। भविष्य के भारत की आकांक्षाओं को देखते हुए 1962 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ (INCOSPAR) की स्थापना की। यही संगठन 1969 से ‘इसरो’ के नाम से जाना जाता है।  चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे खड़े लोगों और तकनीकों की गिनती करना मुश्किल है लेकिन यह मिशन लगभग 4 हजार किलोग्राम तक का वजन ले जाने की क्षमता वाले इस रॉकेट, LVM-III के बिना संभव नहीं था। इस रॉकेट की विकास यात्रा 2009-10 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान शुरू हो गई थी जो अंततः कई पड़ावों को पार करते हुए आज 2023 में अपने निर्माण के औचित्य को सार्थक कर चुकी है।