उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव का आयोजन 10 से 11 अप्रैल के बीच किया गया। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया। पर्यावरण के अतिशोषण पूर्ण रवैये के प्रति सावधान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी और स्वार्थ प्रेरित दृष्टिकोण से भविष्य के नकारात्मक परिणामों को रोकना मुश्किल होगा।
क्या पर्यावरण की लड़ाई में भारत का प्रयास ईमानदार है?
- विमर्श
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- 16 Apr, 2023

बदहाल पर्यावरण की स्थिति व समस्याओं को भारत की सरकार स्वीकारने के बजाय उन्हें नकारने में क्यों लगी हुई है? क्या समस्या का हल इस दृष्टिकोण से निकल सकता है?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी तरफ़ से पर्यावरण के क्षेत्र में यूपी के अंदर हो रहे कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में हमने पिछले छह वर्षों में 133 करोड़ पौधे लगाकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। साथ ही इस वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में एक दिन में 35 करोड़ पौधे रोपे जाएंगे।
इसमें कोई शक नहीं कि पर्यावरण के प्रति राजनैतिक प्रतिबद्धता ही वह मुख्य तरीका है जिससे इसमें होने वाले नकारात्मक बदलावों को रोकने में मदद मिल सकती है। ग्लासगो समिट, 2021 में नेट ज़ीरो के लक्ष्य के बारे में सार्थक चर्चा हुई और इसे लगभग सभी देशों से व्यापक समर्थन भी मिला। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2070 तक भारत को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में नेट ज़ीरो देश बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसी शृंखला में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की 35 करोड़ पौधे लगाए जाने संबंधी घोषणा भी अहम है।