हाथरस में 2 जुलाई को एक ‘धार्मिक आयोजन’ में हुई भगदड़ में 121 लोग मारे गए। मृतकों में ज्यादातर महिलायें है। यह धार्मिक आयोजन एक धर्म गुरु सूरजपाल जाटव उर्फ नारायण साकार हरी उर्फ भोले बाबा के तत्वावधान में किया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो जब यह बाबा प्रवचन/प्रार्थना के बाद जाने लगा तो ‘भक्तों’ का हुजूम बाबा की कार की ओर भागा। हुजूम इसलिए भागा क्योंकि बाबा के पैर के नीचे की धूल न सही उनके कार के नीचे की धूल ही एकत्र कर ली जाए तो कल्याण हो जाए। बाबा के पैर की धूल को उसके भक्त पवित्र मानते हैं।
धर्मगुरुओं में कानून का भय होना ही चाहिए
- विमर्श
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- 7 Jul, 2024

हाथरस में भगदड़ से 121 लोगों की मौत के बाद यूपी सरकार और उसका प्रशासन लकीर पीट रहे हैं। इस सारे मामले में पीड़ित तक कह रहे हैं कि कथित भोले बाबा पर एफआईआर होना चाहिए क्योंकि भगदड़ उसी की वजह से मची। पीड़ितों की बात कोई सुनने वाला नहीं है। भारत में तमाम बाबाओं के धंधे की पोल समय-समय पर खुलती रही है। लेकिन उनमें कानून का भय कहीं नजर नहीं आता। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने हाथरस कांड पर नजर डाली है, पढ़िएः