किसान आंदोलन शुरू हुए अभी 4 दिन ही हुए थे कि पंजाब के एक किसान ज्ञान सिंह की मृत्यु हो गई है। वह 78 वर्ष के थे। किसान संगठनों के ‘दिल्ली चलो’ के साथ ज्ञान सिंह पंजाब से शंभू बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा) आए थे। 78 साल का किसान अपने घर का सुकून और चैन त्यागकर आखिर क्यों दिल्ली आना चाहता था? ऐसी कौन सी ज़रूरत आ गई थी जिसे वह अपनी सरकार से मांग रहा था? भारत की औसत आयु के हिसाब से उनके पास अब जीवन को देखने और यहाँ की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए बहुत वर्ष बचे भी नहीं थे। इसका मतलब उस किसान के आंदोलन में आने का कारण निश्चित रूप से उसकी मजबूरी में निहित था। वह यह बात जानता होगा कि अगर सरकार से किसानों ने अपना हक नहीं लिया तो आने वाली पीढ़ियाँ किसी उद्योगपति के दफ्तर में नौकर बन कर मजदूरी कर रही होंगी और उसके जमीन का मालिकाना हक कहीं और खिसक जाएगा।
सरकार को किसानों से क्या समस्या है?
- विमर्श
- |
- |
- 18 Feb, 2024

पिछले दस सालों में किसानों से किया गया क्या एक भी वादा पूरा हुआ? स्वामीनाथन कमेटी की एमएसपी की सिफारिश, किसानों की आय 2022 तक दोगुनी, पिछले किसान आंदोलन के दौरान का वादा? किसानों का ग़ुस्सा कितना जायज?
जिन्हें चंद किसानों की मर्सिडीज और अन्य लग्ज़री गाड़ियों से आँखों में किरीकिरी होने लगती है, जिन्हें लगता है कि ये अमीर किसान सरकार पर दबाव डाल रहे हैं, जनता को परेशान कर रहे हैं, जिन्हें किसानों के पिज्जा खाने और पूरी व्यवस्था के साथ सत्ता और प्रशासन से टकराने के तरीक़े से दिक्कत होती है उन्हें यह बताना चाहिए कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में, देश में कौन सा आंदोलन या एक भी आंदोलन या प्रतिरोध है जिसकी मांगें पूरी करना तो दूर सरकार ने नज़र उठाकर देखा भी हो।