कहानी पहले किसी एक देश या स्थान की होती है। वहीं की भाषा में लिखी या कही जाती है। लेकिन वहां की होकर भी वो सिर्फ वहीं की नहीं होती। वो दूर देशों की यात्रा पर चली जाती है। जिस देश में पहुंचती है वहां भी लोगों के दिल में जगह बना लेती है। वहां की भाषा में ढल जाती है। वहां की दंतकथाओं से उसका याराना भी हो जाता है। वहां की किस्सागोई शैली से घुलमिल जाती है। वो कहानी वहां की कविताओं से भी दोस्ती गांठ लेती है। इस प्रक्रिया में उसका रूप थोड़ा बदल भी जाता है। मगर थोड़ा बदलकर अपनी मूल आत्मा को बचाए भी रखती है। या ये कहें कि उसका आत्मविस्तार हो जाता है।