पुतलियां (जिनमें कठपुतलियां भी शामिल हैं) बचपन से ही हम सबसे जुड़ जाती हैं। बड़े भी अपने बच्चों के लिए पुतलियां बनाते हैं, बनवाते हैं और उनके शादी- ब्याह भी रचाते हैं। इस नज़रिए से देखें तो पुतलियाँ हर उम्र के लोगों को आकर्षित करती हैं। पुतली कला, जिसका अंग्रेजी नाम `पपेट आर्ट’ मध्य वर्ग में ज़्यादा प्रचलित है, एक लोकप्रिय प्रदर्शनकारी कला है। हालांकि कला विमर्श की दुनिया में इसकी चर्चा कम ही होती है जो कि दुखद है। आम धारणा है कि पुतली बच्चों के लिए खेल है। लेकिन ये भी सच है कि ये बच्चों के लिए खेल भले हो, बच्चों का खेल नहीं है।
पुतली बच्चों के लिए खेल भले हो, बच्चों का खेल नहीं है!
- विविध
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- रवीन्द्र त्रिपाठी
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- 5 Mar, 2025


रवीन्द्र त्रिपाठी
'मंकी एंड द क्रोकोडाइल' पुतली खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि लोककला, परंपरा और रचनात्मकता का संगम है। जानें इस अनूठे नाटक के पीछे की कला, संदेश और इसकी बच्चों व बड़ों के लिए अहमियत।
ये बात हो रही है इस बार के और इक्कीसवें `इशारा अंतरराष्ट्रीय पुतली रंगमंच समारोह’ ( इशारा इंटरनेशनल पपेट थिएटर फेस्टिवल) के सिलसिले में जो इक्कीस फ़रवरी से दो मार्च 2025 तक दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में हुआ (इसी का समानांतर समारोह चंडीगढ़ में भी आयोजित किया गया)। इस बार के समारोह के केंद्र में इटली था यानी वहाँ के पुतली कलाकार ज़्यादा आए थे। पर भारत सहित पोलेंड, रूस और स्पेन के कलाकारों ने भी इसमें अपने यहां की पुतली कलाओं का प्रदर्शन किया।