आज़ादी के बाद दलितों के साथ भेदभाव और छुआछूत ख़त्म करने की बात बहुत हुई लेकिन दलित अब भी अंधविश्वास के जाल में फँसे हैं। बांग्ला की मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी ने अपनी कहानी "बायन" में बहुत मार्मिक ढंग से इसका चित्रण किया है। विख्यात निर्देशिका उषा गांगुली ने इस कहानी पर एक शानदार नाटक तैयार किया है जो संवेदनशील आदमी को झकझोर देता है। उषा गांगुली की कोरोना से मृत्यु हो चुकी है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की नाटक मंडली ने नाटक का फिर से मंचन कर एक तरह से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बायन का शाब्दिक अर्थ है बच्चा खाने वाली औरत। बहुत कुछ हिंदी शब्द "डायन" के जैसा ही।