भारतीय वांगमय में महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जो युगों-युगों से और इतिहास के हर दौर में रचनाकारों के लिए अपने समय के मुताबिक़ नया रचने हेतु बनता रहा है। भास और कालिदास जैसे संस्कृत नाटककार ही नहीं, धर्मवीर भारती जैसे आधुनिक दौर के नाटककार भी अपनी युगीन चिंताओं को इसकी कहानियों या प्रसंगों के माध्यम से अपनी बात कहते रहे हैं। ऐसा संस्कृत और हिंदी में ही नहीं, बल्कि अन्य भाषाओं में भी होता रहा है। ताज़ा प्रकरण है नाटक `भूमि’ जो इस बार के भारंगम  (भारत रंग महोत्सव) में खेला गया। इसे लिखा है आशीष पाठक ने और निर्देशित किया स्वाति दूबे ने। ये नाटक महाभारत के वन पर्व के चित्रांगदा वाले प्रसंग से प्रेरित है।