उत्तराखंड में बड़ी जीत हासिल करने के बाद भी बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री कौन होगा इसे तय नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे वजह साफ है कि पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पुष्कर सिंह धामी विधानसभा चुनाव हार गए हैं। 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के एक हफ्ते के बाद भी बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं ले पाया है।
निश्चित रूप से इससे राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस का माहौल है। मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर पार्टी के कार्यकर्ता तमाम बड़े नेताओं नवनिर्वाचित विधायकों से सवाल पूछ रहे हैं लेकिन आला नेताओं का जवाब यही है कि हाईकमान जिसे तय करेगा वही मुख्यमंत्री बनेगा।
बीते 1 हफ्ते में उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष से लेकर पिछली सरकार के कैबिनेट मंत्रियों, उत्तराखंड के महामंत्री (संगठन) और राज्य के तमाम नेताओं से बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व बातचीत कर चुका है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष उत्तराखंड के कई नेताओं की राय जान चुके हैं।
मंगलवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि दो-तीन दिन के भीतर देहरादून में विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी।
खबर है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बारे में फ़ैसला ले लिया है। इस नेता के नाम को लेकर केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक में पहुंचेंगे और नए मुख्यमंत्री के बारे में ऐलान हो जाएगा।
कौन हैं दावेदार?
पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही धामी के अलावा सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, अनिल बलूनी, अजय भट्ट और रमेश पोखरियाल निशंक के नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में रहे हैं। लेकिन यह कहा जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व राज्य के किसी लोकसभा सांसद को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहता क्योंकि ऐसी सूरत में उसे दो उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा।
ऐसे में नवनिर्वाचित विधायकों में से किसी एक विधायक के नाम पर मुहर लगने की संभावना के साथ ही अनिल बलूनी का नाम फाइनल होने की भी चर्चा मीडिया के गलियारों में जोर शोर से चल रही है।
बीजेपी ने बीते साल लगातार दो मुख्यमंत्रियों को बदलकर तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी थी।
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता कि इस बार पिछली बार जैसी स्थिति बने और उसे बार-बार मुख्यमंत्रियों को बदलकर अपनी किरकिरी करानी पड़े। ऐसे में बीजेपी हाईकमान किसी ऐसे नेता को बैठाएगा जो 5 साल तक बिना किसी परेशानी के सरकार चला सके और राज्य में अगले साल होने वाले निकाय चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को जीत दिला सके। देखना होगा कि बीजेपी किस नेता को राज्य के मुखिया के पद पर बैठाती है।
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