कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ने भी पार्टी में असंतुष्ट नेताओं के G-23 गुट से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। राहुल गांधी ने इस गुट के नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से गुरुवार को मुलाकात की। इससे पहले सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद से बात की।
इससे यही लगता है कि गांधी परिवार G-23 गुट के असंतुष्ट नेताओं को मनाने की कोशिशों में जुट गया है।
हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के बड़े नेता हैं और लंबे वक्त से G-23 गुट की बैठकों में शामिल होते रहे हैं। कहा जाता है कि हुड्डा उनके बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष ना बनाए जाने से नाराज हैं।
बीते विधानसभा चुनाव में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की बगावत के बाद भी हुड्डा के दम पर पार्टी हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही थी।
सोनिया और राहुल के द्वारा G-23 गुट के नेताओं से बातचीत करने से यह माना जाना चाहिए कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर उठा तूफान अब शांत हो सकता है।
ताजा सूरत-ए-हाल में यह बेहद जरूरी भी है कि कांग्रेस नेतृत्व असंतुष्ट नेताओं तक पहुंचे और उनकी बातों को सुनकर उनके द्वारा उठाए गए मसलों पर काम करे। क्योंकि कांग्रेस लगातार एक के बाद एक चुनाव हार रही है और ऐसे में पार्टी की हालत बेहद कमजोर हो गई है।
ऐसे वक्त में यह जरूरी है कि पार्टी नेतृत्व कार्यकर्ताओं-नेताओंं को एकजुट करे और अगले साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले खुद को चुस्त-दुरुस्त करे वरना कांग्रेस के लिए खुद को जिंदा रख पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
कांग्रेस नेतृत्व की घेरेबंदी
पांच राज्यों में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद G-23 गुट के नेताओं ने एक बार फिर कांग्रेस नेतृत्व को घेरना शुरू कर दिया था। पहले कपिल सिब्बल ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि गांधी परिवार को अब हट जाना चाहिए और किसी अन्य नेता को नेतृत्व करने का मौका देना चाहिए। इसके बाद इस गुट के तमाम नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर बुधवार रात को मिले।
बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि कांग्रेस सभी स्तरों पर सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और निर्णय लेने के मॉडल को अपनाए। कपिल सिब्बल घर की बनाम सब की कांग्रेस कहकर पार्टी नेतृत्व पर हमला बोल चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक़, बैठक में इन नेताओं ने यह भी कहा कि पार्टी में अभी किसी तरह की टूट नहीं होगी लेकिन उन्होंने गांधी परिवार से कहा कि वे अपने करीबियों को बड़े पदों से हटाए जिससे पार्टी फिर से खड़ी हो सके।
बैठक में शामिल एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हम लोग पार्टी को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक हमें बाहर नहीं निकाल दिया जाता लेकिन हम लोग पार्टी में लोकतंत्र के लिए जोर देते रहेंगे और पार्टी को लोकतांत्रिक बनाने और 2024 में बीजेपी का विकल्प बनाने के लिए देशभर में घूमेंगे।
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